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ऋतुसंहार
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उछलती हुई सुंदर मछलियाँ ही उन नदियों की करधनी हैं, तीर पर बैठी हुई उजली चिड़ियों की पाँतें ही उनकी मालाएँ हैं । हारैः सचन्दनरसैः स्तनमण्डलानि
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श्रोणीतटं सविपुलं रसना कलापैः । 3/20
अपने स्तनों पर मोतियों के हार पहनती हैं, और चंदन पोतती हैं, अपने भारी - भारी नितंबों पर करधनी बाँधती हैं।
आलम्बिहेमरसनाः स्तनसक्तहाराः कंदर्पदर्पशिथिलीकृत गात्रयष्ट्यः । 6/26 कमर में सोने की करधनी बाँधे, स्तनों पर मोतियों के हार लटकाए और काम की उत्तेजना से ढीले शरीर वाली ।
यष्टि
1. मौक्तिक [मुक्तैव स्वार्थे ठक् ] मोती ।
रत्नान्तरे मौक्तिकसङ्गरम्यः स्वेदागमो विस्तरतामुपैति । 6/8
पसीने की बूँदें ऐसी दिखाई पड़ती हैं, मानो अनेक प्रकार के रत्नों के बीच मोती जड़ दिए गए हैं।
1.
2. यष्टि - [ यज् + क्तिन, नि० न संप्रसारणम् ] मोती, डोरी, लकड़ी, नाजुक वस्तु । सचन्दनाम्बुव्यजनोद्भवानिलैः सहारयष्टिस्तनमण्डलार्पणैः । 1/8
चंदन में बसे हुए ठंडे जल से भीगे हुए पंखों की ठंडी बयार झलकर या मोतियों हारों की लटकती हुई झालरों से सजे हुए अपने गोल-गोल स्तन प्रेमी की छाती पर रखकर ।
3. सक्त [संज् + क्त] चिपका हुआ, लगा हुआ, जमाया हुआ, मोती के अर्थ
में ।
आलम्बिहेमरसनाः स्तनसक्तहाराः कंदर्पदर्पशिथिलीकृतगात्रयष्ट्य: 16/26 कमर में सोने की करधनी बाँधे, स्तनों पर मोती के हार लटकाए और काम की उत्तेजना से ढीले शरीरवाली स्त्रियाँ ।
रम्य
चारु [ चरति चित्ते - चर् + उण्] रमणीय, सुंदर, कांत, मनोहर, प्रिय, रुचिकर |
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