Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 376
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ऋतुसंहार www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 841 समुद्धृताशेषमृणालजालकं विपन्नमीनं दुतभीतसारसम् । 1/19 इस ताल के सब कमल उखाड़ डाले हैं, मछलियों को रौंद डाला और सब सारसों को डराकर भगा दिया है। 2. शफरी - [ शफ राति रा + क] एक प्रकार की छोटी चमकीली मछली । चञ्चन्मनोज्ञशफरीरसनाकलापाः पर्यन्तसंस्थितसिताण्डज पङ्कितहाराः । 3/3 उछलती हुई सुंदर मछलियाँ ही उनकी करधनी हैं, तीर पर बैठी हुई उजली चिड़ियों की पाँतें ही उनकी मालाएँ हैं । मुख 1. आनन [ आ + अन् + ल्युट् ] मुँह, चेहरा । तृषा महत्या हतविक्रमोद्यमः श्वसन्मुहुर्दूर विदारिताननः । 1/14 बहुत प्यास के मारे इसका सब साहस ठंडा पड़ गया है, अपना पूरा मुँह खोलकर यह बार-बार हाँफ रहा है। विलोलनेत्रोत्पल शोभिताननै मृगैः समन्तादुपाजातसाध्वसैः । 2/9 कमल के समान सुहावनी चंचल आँखों के कारण सुंदर मुख वाले डरे हुए हरिणों से भरा हुआ । काचिद्विभूषयति दर्पणसक्तहस्ता बालातपेषु वनिता वदनारविन्दम् । 4/14 एक स्त्री, हाथ में दर्पण लिए हुए प्रातः काल की धूप में बैठी अपने कमल जैसे मुँह का सिंगार कर रही है । अभिमतरतवेषं नन्दयन्त्यस्तरुण्यः सवितुरुदयकाले भूषयन्त्याननानि । 5/15 अपने मनचाहे संभोग के वेश पर खिलखिलाती हुई स्त्रियाँ प्रातः काल अपना मुँह सजा रही हैं। कनक कमलकान्तैराननैः पाण्डुगण्डैरुपनिहितहारैश्चन्दनाद्रैः स्तनान्तैः। 6/32 For Private And Personal Use Only अपने स्वर्ण कमल के समान सुनहरे गालों वाले मुँह से, गीले चंदन से पुते और मोतियों के हार पड़े हुए स्तनों से ।

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