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ऋतुसंहार
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समुद्धृताशेषमृणालजालकं विपन्नमीनं दुतभीतसारसम् । 1/19
इस ताल के सब कमल उखाड़ डाले हैं, मछलियों को रौंद डाला और सब सारसों को डराकर भगा दिया है।
2. शफरी - [ शफ राति रा + क] एक प्रकार की छोटी चमकीली मछली ।
चञ्चन्मनोज्ञशफरीरसनाकलापाः
पर्यन्तसंस्थितसिताण्डज पङ्कितहाराः । 3/3
उछलती हुई सुंदर मछलियाँ ही उनकी करधनी हैं, तीर पर बैठी हुई उजली चिड़ियों की पाँतें ही उनकी मालाएँ हैं ।
मुख
1. आनन [ आ + अन् + ल्युट् ] मुँह, चेहरा ।
तृषा महत्या हतविक्रमोद्यमः श्वसन्मुहुर्दूर विदारिताननः । 1/14
बहुत प्यास के मारे इसका सब साहस ठंडा पड़ गया है, अपना पूरा मुँह खोलकर यह बार-बार हाँफ रहा है।
विलोलनेत्रोत्पल शोभिताननै मृगैः समन्तादुपाजातसाध्वसैः । 2/9 कमल के समान सुहावनी चंचल आँखों के कारण सुंदर मुख वाले डरे हुए हरिणों से भरा हुआ ।
काचिद्विभूषयति दर्पणसक्तहस्ता बालातपेषु वनिता वदनारविन्दम् । 4/14 एक स्त्री, हाथ में दर्पण लिए हुए प्रातः काल की धूप में बैठी अपने कमल जैसे मुँह का सिंगार कर रही है ।
अभिमतरतवेषं नन्दयन्त्यस्तरुण्यः
सवितुरुदयकाले भूषयन्त्याननानि । 5/15
अपने मनचाहे संभोग के वेश पर खिलखिलाती हुई स्त्रियाँ प्रातः काल अपना मुँह सजा रही हैं।
कनक कमलकान्तैराननैः पाण्डुगण्डैरुपनिहितहारैश्चन्दनाद्रैः स्तनान्तैः।
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अपने स्वर्ण कमल के समान सुनहरे गालों वाले मुँह से, गीले चंदन से पुते और मोतियों के हार पड़े हुए स्तनों से ।