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ऋतुसंहार
847 कमल पर बैठकर गुनगुनाता यह भौंरा भी अपनी प्यारी का मनचाहा काम कर
रहा है। 3. अंबुरुह - [ अम्ब + उण् + रुहः] कमल।
सपत्रलेखेषु विलासिनीनां वक्त्रेषु हेमाम्बुरुहोपमेषु। 6/8 सुनहरे कमल के समान सुहावने और बेलबूटे चीते हुए स्त्रियों के मुखों पर। अंभोरुह - [आप् (अम्भ) + असुन् + रुहः] कमल। हंसैर्जिता सुललिता गतिरङ्गनानामभोरुहैर्विकसितैर्मुखचन्द्रकान्तिः। 3/17 हंसों ने सुंदरियों की मनभावनी चाल को, कमलिनियों ने उनके चंद्रमुख की
चमक को हरा दिया है। 5. अरविन्द - [अरान् चक्रङ्गानीव पत्राणि विन्दते - अर + विन्द + श ] कमल।
काचिद्विभूषयति दर्पणसक्तहस्ता बालातपेषु वनिता वदनारविन्दम्। 4/14 एक स्त्री, हाथ में दर्पण लिए हुए प्रातः काल की धूप में बैठी अपने कमल जैसे
मुँह का सिंगार कर रही है। 6. इंदीवर - नीलकमल, कमल।
विलोचनेन्दीवरवारिबिन्दुभिर्निषिक्तबिम्बाधरचारुपल्लवाः। 2/12 अपने बिंबाफल जैसे लाल और नई कोंपलों जैसे कोमल होों पर अपनी
कमल जैसी आँखों से आँसू बरसाती हुई। 7. उत्पल - [ उद् + पल् + अच्] नीलकमल, कमल, कुमुद।
नितान्तनीलोत्पलपत्रकान्तिभिः क्वचित्प्रभिन्नाञ्जनराशिसंनिभैः। 2/2 कहीं तो अत्यंत नीले कमल की पंखड़ी जैसे नीले और कहीं घुटे हुए आँजन की ढेरी के समान काले-काले बादल। विलोलनेत्रोत्पलशोभिताननैर्मृगैः समन्तादुपजातसाध्वसैः। 2/9 कमल के समान सुहावनी चंचल आँखों के कारण सुंदर मुखवाले डरे हुए हरिणों से भरा हुआ। पतन्ति मूढाः शिखिनां प्रनृत्यतां कलापचक्रेषु नवोत्पलाशया। 2/14 वे हड़बड़ी में भूल से, नाचते हुए मोरों के खुले पंखों को नये कमल समझकर उन्हीं पर टूटे हुए पड़ रहे हैं।
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