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ऋतुसंहार
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कहीं तो चंद्रमा की चमक को छोड़कर स्त्रियों के मुँह में पहुँच गई, कहीं हंसों की मीठी बोली छोड़कर उनके रत्न जड़े बिछुओं में चली गई । वापीजलानां मणिमेखलानां शशाङ्कभासां प्रमदाजनानाम् । 6/4 बावड़ियों के जल, मणियों से जड़ी करधनियाँ, चाँदनी और स्त्रियाँ | 2. रत्न [ रमतेऽत्र रम् + न, तान्तादेश: ] मणि, आभूषण, हीरा ।
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विभाति शुक्लेतरत्नविभूषिता वराङ्गनेव क्षितिरिन्द्रगोपकैः । 2/5 बीरबहूटियों से छाई हुई धरती उस नायिका जैसी दिखाई दे रही है, जो धौले रत्न को छोड़कर और सभी रँग के रत्नों वाले आभूषणों से सजी हुई हो। काञ्चीगुणैः काञ्चनरत्नचित्रैनों भूषयन्ति प्रमदा नितम्बान् । 4/4
न स्त्रियाँ अपने नितंबों पर सोने और रत्नों से जड़ी हुई करधनी पहनती हैं। रत्नान्तरे मौक्तिकसङ्गरम्यः स्वेदागमो विस्तरतामुपैति । 6/8
पसीने की बूँदें ऐसी दिखाई पड़ रही है, मानों अनेक प्रकार के रत्नों के बीच बहुत से मोती जड़ दिए गए हों ।
मधु
1. आसव [ आ + सु + अण् ] अर्क, काढ़ा, शराब ।
गृहीतताम्बूलविलेपनस्त्रजः पुष्पासवमोदितवक्त्र पङ्कजाः । 5/5
फूलों के आसव पीने से जिनका कमल जैसा मुँह सुगंधित हो गया है, वे स्त्रियाँ पान खाकर, फुलेल लगाकर और मालाएँ पहनकर ।
पुंस्कोकिलश्चूतरसासवेन मत्तः प्रियां चुम्बति रागहृष्टः । 6 / 16
यह नर कोयल आम की मंजरियों के रस में मदमस्त होकर अपनी प्यारी को बड़े प्रेम से प्रसन्न होकर चूम रहा है।
2. मदिरा - [ मंदिर + टाप्] खींची हुई शराब ।
नेत्रेषु लोलो मदिरालसेषु गण्डेषु पाण्डुः कठिनः स्तनेषु । 6/12
स्त्रियों की मदमाती आँखों में चंचलता बनकर, गालों में पीलापन बनकर, स्तनों में कठोरता बनकर ।
अङ्गानि निद्रालसविभ्रमाणि वाक्यानि किंचिन्मदिरालसानि । 6/13
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