Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 373
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 838 7. वितनु - कामदेव । www. kobatirth.org 2. मयूख 1. अंशु - [ अंश् + कु] किरण, प्रकाश किरण । कमलवनचिताम्बुः पाटलामोदरम्यः Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मत्तेभो मलयानिलः परभृता यद्बन्दिनो लोकजित् सोऽयं वो वितरतरीतु वितनुर्भद्रं वसन्तान्वितः । 6/38 जिसका मलयाचल से आया हुआ पवन ही मतवाला हाथी है, कोयल ही गायक है और शरीर न रहते हुए भी जिसने संसार जीत लिया है वह कामदेव वसंत के साथ आपका कल्याण करे । कालिदास पर्याय कोश सुखसलिलनिषेकः सेव्यचन्द्रांशुहारः । 1 / 28 कमलों से भरे हुए और खिले हुए पाटल की गंध में बसे हुए जल में स्नान करना बहुत सुहाता है और जिन दिनों चंद्रमा की किरणें और मोती के हार बहुत सुख देते हैं। कर- [ करोति, कीर्यते अनेन इति, कृ + अप्] प्रकाश किरण, रश्मिमाला । दिवसकरमयूखैर्बोध्यमानं प्रभाते वर युवतिमुखाभंपङ्कजं जृम्भतेऽद्य। 3/25 प्रातः काल जब सूर्य अपनी किरणों से कमल को जगाता है, तब वह कमल सुंदरी युवती के समान खिल उठता है । स्त्रस्तांसदेशलुलिताकुलकेशपाशा निद्रां प्रयाति मृदुसूर्यकराभितप्ता । 4/15 उसके कंधे झूल गए हैं, बाल इधर-उधर बिखर गए हैं और वह प्रातः काल के सूर्य की कोमल किरणों में धूप खाती हुई सो गई है। 3. किरण [ कृ + क्यु] प्रकाश किरण, किरण । 1 छायां जनः समभिवाञ्छति पादपानां नक्तं तथेच्छति पुनः किरणं सुधांशोः 16/11 लोग दिन में तो वृक्षों की शीतल छाया में रहना चाहते हैं और रात में चंद्रमा की किरणों का आनंद लेना चाहते हैं । For Private And Personal Use Only 4. गभस्ति - [ गम्यते ज्ञायते गम् + ड= गः विषयः तं बिभस्ति भस् + क्तिच् ] प्रकाश किरण |

Loading...

Page Navigation
1 ... 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441