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कालिदास पर्याय कोश हे सुंदर जाँघों वाली! सुनो, जिस ऋतु में काम भी बहुत बढ़ जाता है, वह स्त्रियों की प्यारी शिशिर ऋतु आ पहुंची है। सुगन्धिनिः श्वासविकम्पितोत्पलं मनोहरं कामरति प्रबोधकम्। 5/10 कामवासना जगाने वाली वह मदिरा पीती हैं, जिसमें पड़े हुए कमल उन की सुगंधित साँस से बराबर हिलते रहते हैं। भ्रूक्षेपजिह्मानि च वीक्षितानि चकारकामः प्रमदाजनानाम्। 6/13 काम से स्त्रियों की टेढ़ी भौंहों के कारण चितवन बड़ी कटीली हो जाती है। सुगन्धिकालागरुधूपितानि धत्तेः जनः काममदालसाङ्गः। 6/15 कामदेव के मद में अलसाई हुई स्त्रियाँ काला गुरु के धुएँ से सुगंधित किए हुए। कुर्वन्ति कामं पवनावधूताः पर्युत्सुकं मानसमङ्गनानाम्। 6/17 जब पवन के झोंके में हिलने लगते हैं तो उन्हें देख-देखकर स्त्रियों के मन में काम उभरने लगता है। कुसुमायुध - [कुष् + उम + आयुधः] कामदेव। मत्तालियूथविरुतं निशि सीधुपानं सर्वं रसायनमिदं कुसुमायुधस्य। 6/35 मतवाले भौंरो की गुंजार और रात में आसव, पीना, ये सब कामदेव को जगाए
रखने वाले रसायन ही हैं। 5. मदन - [माद्यति अनेन - मद करणे ल्युट्] मादक, कामदेव।
सतन्त्रिगीतं मदनस्य दीपनं शुचौ निशीथेऽनुभवन्ति कामिनः। 1/3 प्रेमियों को काम को उभारने वाली वस्तुएँ चाहिए, जैसे रात में सुंदर वीणा के साथ गाए हुए गीत। नृत्यप्रयोगरहिताशिखिनो विहाय हंसामुपैति मदनो मधुर प्रगीतान्। 3/13 जिन मोरों ने नाचना छोड़ दिया है, उन्हें छोड़कर अब कामदेव उन हंसों के पास पहुँच गया है, जो बड़ी-मीठी बोली में रुनझुन कर रहे हैं। रचितकुसुमगन्धि प्रायशो यान्ति वेश्म प्रबलमदनहेतोस्त्यक्तसंगीत रागाः। 3/23 सब गाना-बजाना छोड़कर अत्यंत कामातुर होकर उन घरों में चली जा रही हैं, जिनमें सुगंधित फूलों की शय्या बिछी हुई है।
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