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कालिदास पर्याय कोश स्त्रियाँ अलसा जाती हैं, मद से उनका चलना-बोलना कठिन हो जाता है। 3. मद्य - [ माद्यत्यनेन करणे यत्] शराब, मदिरा, मादक पेय, मादक।
निशासु हृष्टा सह कामिभिः स्त्रियः पिबन्ति मद्यं मदनीयमुत्तमम्। 5/10 स्त्रियाँ बड़े हर्ष से अपने प्रेमियों के साथ रात को कामवासना जगाने वाली वह
मदिरा पीती हैं। 4. मधु - [ मन्यत इति मधु, मन + उ नस्य धः] शहद, फूलों का रस, शराब,
मीठा मादक पेय। सुवासितं हऱ्यातलं मनोहरं प्रियामुखोच्छ्वासविकम्पितं मधु। 1/3 सुंदर सुगंधित जल से धुला हुआ भवन का तल, प्यारी के मुँह की भाप से उफनाती हुई मदिरा। मत्ताद्विरेफ परिपीतमधुप्रसेकश्चित्तं विदारयति कस्य न कोविदारः। 376 जिसमें से बहते हुए मधु की धार को मस्त भौरे धीरे-धीरे पी रहे हैं, ऐसा कोविदार का वृक्ष किसका हृदय टुकड़े-टुकड़े नहीं कर देता। मधुसुरभि मुखाब्जं लोचने लोधताने नवकुरबकपूर्णः केशपाशो मनोज्ञः। 6/33 आसव से महकता हुआ स्त्रियों का कमल के समान मुख, उनकी लोध जैसी लाल-लाल आँखें, कुरबक के फूलों से सजे हुए उनके सुंदर जूड़े। सीधु - [सिध् + उ, पृषो०] गुड़ से बनाई हुई शराब, ईख की मदिरा, शराब, मदिरा। स्तनैः सहारैर्वदनैः ससीधुभिः स्त्रियो रतिं संजनयन्ति कामिनाम्। 2/18 स्त्रियाँ छाती पर माला डालकर और मदिरा पीकर अपने प्रेमियों के मन में प्रेम उकसा रही हैं। मत्तालियूथविरुतं निशि सीधुपानं सर्वं रसायनमिदं कुसुमायुधस्य। 6/35 मतवाले भौंरों की गुंजार और रात में आसव पीना ये सब कामदेव को जगाए रखने वाले रसायन ही हैं।
मन्मथ
1. अनंग - कामदेव, देहरहित, अशरीरी।
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