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ऋतुसंहार
अनङ्गसंदीपनमाशु कुर्वते यथा प्रदोषाः शशिचारुभूषणाः। 1/12 चमकते हुए चंद्रमा के समान जो सुंदरियाँ उजले आभूषणों से सजी हुई बड़ी प्यारी लग रही हैं, वे मन में झट से कामदेव जगा देती हैं। प्रयान्त्यनङ्गातुरमानसानां नितम्बिनीनां जघनेषु काञ्चयः। 6/7 अपने प्रेमी के संभोग करने को उतावली नारियों ने अपने नितंबों पर करधनी बाँध ली है। अङ्गान्यनङ्ग प्रमदाजनस्य करोति लावण्यससंभ्रमाणि। 6/10 काम-वासना के कारण स्त्रियों के सारे शरीर में कुछ अनोखा ही रसीलापन आ जाता है। मध्येषु निम्नो जघनेषु पीनः स्त्रीणामनङ्गो बहुधा स्थितोऽद्य। 6/12 इन दिनों कामदेव भी स्त्रियों की कमर में गहरापन बनकर और नितंबों में
मोटापा बनकर आ बैठता है। 2. कंदर्प - [ कं कुत्सितो दर्पो यस्मात् - ब० स०] कामदेव।
प्रचुरगुडविकारः स्वादुशीलीक्षुरम्यः प्रबलसुरतकेलिर्जातकन्दर्पदर्पः। 5/16 मिठाइयाँ बहुतायत से मिलती हैं,स्वाद लगने वाले चावल और ईख चारों ओर सुहाते हैं, लोग बहुत संभोग करते हैं, कामदेव भी पूरे वेग से बढ़ जाता है। उच्छ्वासयन्त्यः श्लथबन्धनानि गात्राणि कंदर्पसमाकुलानि। 6/9 कामवासना से पीड़ित स्त्रियाँ अपने अंग उघाड़ती हुईं, उन्हें ललचा रही हैं। दृष्ट्वा प्रिये सहृदयस्य भवेन्न कस्य कंदर्पबाणपतनं व्यथितं हि चेतः। 6/20 अनोखी शोभा देखकर किस रसिक का मन कामदेव के बाण से घायल नहीं हो जाता। आलम्बिहेमरसनाः स्तनसक्तहारा: कंदर्पदर्पशिथिलीकृतगात्रयष्ट्यः । 6/26 कमर में सोने की करधनी बाँधे, स्तनों पर मोती के हार लटकाए और काम की
उत्तेजना से ढीले शरीर वाली स्त्रियाँ । 3. काम - [ कम् + घञ्] कामदेव, वीर्य।
प्रकामकामं प्रमदाजन प्रियं वरोरु कालं शिशिराह्वयं श्रुणु। 5/1
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