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ऋतुसंहार
प्रात: काल के समय स्त्रियों के कंधों पर फैले हुए बालों वाले गोल-गोल मुखों को देखकर ऐसा लगता है, मानो घर-घर में लक्ष्मी आ बसी हो । 3. मंदिर [ मन्द्यतेऽत्र मन्द् + किरच्] रहने का स्थान, आवास, महल, भवन ।
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निशा: शशाङ्कक्षतनीलराजयः क्वचिद्विचित्रं जलयन्त्रमन्दिरम्। 1/2 रात में चारों ओर खिले हुए चंद्रमा की चाँदनी छिटकी हुई हो, रंग-बिरंगे फव्वारों वाले घरों में हम लोग बैठे हों। 1
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निरुद्धवातायनमन्दिरोदरं हुताशनो भानुमता गभस्तयः । 5/2
आजकल लोग अपने घरों के भीतर खिड़कियाँ बंद करके, आग ताप कर, धूप खाकर दिन बिताते हैं ।
3. वास [ वास् + घञ्] सुगंध, निवास, आवास, घर ।
प्रियतमपरिभुक्तं वीक्षमाणा स्वदेहं
व्रजति शयनवासाद्वासमन्यं हसन्ती । 5/11
अपने प्रियतम से उपभोग किए हुए अपने शरीर को देखती हुई अपने शयन घर से दूसरे घर में चली जा रही है।
4. वेश्म [ विश् + मनिन् ] घर, निवास स्थान, आवास, भवन, महल । रचितकुसुमगन्धि प्रायशो यान्ति वेश्म
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प्रबल मदनहेतोस्त्यक्त संगीत रागाः । 3 / 23
सब गाना-बजाना छोड़कर अत्यंत कामातुर होकर उन घरों में चली जा रही हैं, जिनमें सुगंधित फूलों की सेज बिछी हुई है।
5. हर्म्य - [ हृ + यत्, मुट् च] प्रासाद, महल, भवन, बड़ी इमारत ।
सुवासितं हर्म्यतलं मनोहरं प्रियामुखोच्छ्वासविकम्पितं मधु । 1/3 सुंदर सुगंधित जल से धुला हुआ भवन का तल, प्यारी के मुँह की भाप से उफनाती हुई मदिरा ।
व्रजतु तव निदाघः कामिनीभिः समेतो
निशि सुललितगीते हर्म्य पृष्ठे सुखेन । 1 / 28
सितेषु हर्म्येषु निशासु योषितां सुख प्रसुप्तानि मुखानि चन्द्रमाः । 1 / 9 रात के समय उजले भवन में सुख से सोई हुई युवती का मुँह निहारने को उतावला रहने वाला चंद्रमा ।
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