________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Achary
830
कालिदास पर्याय कोश कोयल और मदमाते भौंरो के स्वरों से गूंजते हुए बौरे हुए आम के पेड़ों से भरा हुआ और मनोहर कनैर के फूलों वाले। उत्कूजितैः परभृतस्य मदाकुलस्य श्रोत्रप्रियैर्मधुकरस्य च गीतनादैः। 6/34
मदमस्त होने वाली कोकिल की कूक से और भौंरों की मनभावनी गुंजारों से। 5. मधुप - [ मधु + पः] भौंरा, मधुकर।
विविधमधुपयूथैर्वेष्ट्यमानः समन्ताद् भवतु तव वसन्तः श्रेष्ठकालः सुखाय। 6/37 चारों ओर भौंरों से घिरा हुआ वसंत आपको सुखी और प्रसन्न रखे।
मण्डूक
1. भेक - [भी + कन्] मेंढक, छोटा मेंढक, मेंढकी।
ससाध्वसैर्भेककुलैर्निरीक्षितं प्रयाति निम्नाभिमुखं नवोदकम्। 2/13 बरसाती पानी ढाल से आ रहा है और बेचारे मेंढक उसे साँप समझकर देख
देखकर डरे जा रहे हैं। 2. मण्डूक - [ मण्डयति वर्षा समयं - मण्ड् + ऊकण्] मेंढक।
विषाग्निसूर्यातपतापितः फणी न हन्ति मण्डूककुलं तृषाकुलः। 1/20 धूप की लपटों और अपने विष की झाक से जलने के कारण यह साँप प्यासे मेंढकों को नहीं मार रहा है।
मन्दिर 1. गृह - [ग्रह + क] घर, निवास, आवास, भवन।
श्रुत्वा ध्वनि जलमुचां त्वरितं प्रदोषे शय्यागृहं गुरुगृहात्प्रविशन्ति नार्यः। 2/22 स्त्रियाँ बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर झट अपने घर के बड़े-बूढ़ों के पास से उठकर सही साँझ को ही अपने शयनघर में घुस जाती हैं। उषसि वदनबिम्बैरंससक्तकेशैः श्रिय इव गृहमध्ये संस्थिता योषितोऽद्य। 5/13
For Private And Personal Use Only