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कालिदास पर्याय कोश
उस के तीर पर एक बनावटी पहाड़ है, जिसकी चोटी नीलमणि की बनी हुई है और जो चारों ओर से सोने के केलों से घिरा होने के कारण देखते ही बनाता है।
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गत्वा सद्यः कलभतनुतां शीघ्रसंपात हेतोः
क्रीडाशैले प्रथमकथिते रम्य सानौ निषण्णः । उ० मे० 21
चट से हाथी के बच्चे जैसे छोटे बनकर घर में खेल के लिए बनाई हुई पहाड़ी की सुहावनी चोटी पर जा बैठना ।
आश्वास्यैवं प्रथमविरहदग्रशोकां सखीं ते
शैलादाशु त्रिनयनवृषोत्खात कूटान्निवृत्तः । 30 मे० 56
पहली बार के बिछोह से दुखी अपनी भाभी को इस प्रकार ढाढ़स बंधाकर, उस कैलास पर्वत से लौट आना, जिसकी चोटियाँ महादेव जी के साँड़ ने उखाड़ दी हैं ।
इत्याख्याते सुरपतिसखः शैल कुल्यापुरीषु
स्थित्वा धनपतिपुरीं वासरैः कैश्चिदाप । उ0 मे० 62
यह सुनकर बादल वहाँ से चल दिया और कभी पहाड़ियों पर, कभी नदियों के पास और कभी नगर में ठहराता हुआ, थोड़े ही दिनों में कुबेर की राजधानी अलका पहुँच गया।
6. सानुमत् [ सानु + मतुप् ] पहाड़, गिरि, पर्वत ।
त्वामासारप्रशमित वनोपप्लवं साधु मूर्ध्ना
वक्ष्यत्यध्वश्रमपरिगतं सानुमानाम्रकूटः । पू० मे० 17
जब तुम मूसलाधार पानी बरसाकर आम्रकूट पहाड़ के जंगलों की आग बुझाओगे तो वह तुम्हें थका समझकर अपनी चोटी पर आदर के साथ ठहरावेगा । अध्वक्लान्तं प्रतिमुखगतं सानुमानानकूट
स्तुङ्गेन त्वां जलद शिरसा वक्ष्यति श्लाघ्यमानः । पू० मे० 19
हे मेघ ! जब तुम थककर आम्रकूट पर्वत पर पहुँचोगे, तब वह प्रशंसनीय पर्वत तुम्हें अपनी ऊँची चोटी पर ठहरावेगा ।
अर्घ
1. अर्घ - [ अर्घ + धञ् ] पूजा की सामग्री, देवताओं को सादर आहुति ।
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