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ऋतुसंहार
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13. वारिद - [व + इ + दः] बादल।
वनद्विपानां नव वारिदस्वनैर्मदान्वितानां ध्वनतां मुहुर्मुहुः। 2/15 नये-नये बादलों के गरजने से जब बनैले हाथी मस्त हो जाते हैं, और उनके माथे से बहते हुए मद पर।
अवगाह
1. अवगाह - [ अव + गाह् + घञ्, ल्युट् वा] स्नान, डुबाना, डुबकी लगाना।
प्रचण्डसूर्यः स्पृहणीयचन्द्रमाः सदावगाहक्षतवारिसंचयः। 1/1 धूप कड़ी हो गई है, चंद्रमा सुहावना लगता है, कोई चाहे तो आजकल दिन-रात
गहरे जल में स्नान कर सकता है। 2. निषेक - [नि + सिच् + घञ्] छिड़कना, तर करना, स्नान।
कमलवनचिताम्बुःपाटलामोदरम्यः सुखसलिलनिषेकः सेव्यचन्द्रांशुहारः। 1/28 कमलों से भरे हुए और खिले हुए पाटल की गंध में बसे हुए जल में स्नान करना और चंद्रमा की चाँदनी और मोती के हार बहुत सुख देते हैं। हसितमिव विधते सूचिभिः केतकीनां नव सलिलनिषेकच्छिन्नतापो वनान्तः। 3/24 मानो वर्षा के नये जल में स्नान करने से गर्मी दूर हो जाने पर जंगल मगन हो गया हो और केतकी की उजली कलियों को देखकर ऐसा लगता है मानो जंगल हँस रहा हो। मलयपवनविद्धः कोकिलालापरम्यः सुरभिमधुनिषेकाल्लब्धगन्धप्रबन्धः। 6/37 मलय के वायुवाला, कोकिल की कूक से जी लुभाने वाला, सदा सुगंधित मधु बरसाने वाला वसंत।
आभरण
1. आभरण [आ + भृ + ल्युट्] आभूषण, सजावट।
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