________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
782
कालिदास पर्याय कोश
श्वसिति विहगवर्गः शीर्णपर्णदुमस्थः कपिकुलमुपयाति क्लान्तमदेनिकुञ्जम्। 1/23 जिन वृक्षों के पत्ते झड़ गए हैं, उन पर बैठी हुई सभी चिड़ियाँ हाँफ रही हैं, उदास बंदरों के झुंड पहाड़ी गुफाओं में घुसे जा रहे हैं।
1. गुरु - [ गृ + कु, उत्वम्] भारी, बोझल, विस्तृत, लंबा।
समुद्गत स्वेदशिताङ्गसंधयो विमुच्य वासांसि गुरूणि सांप्रतम्। 1/7 जिनके अंगों के जोड़-जोड़ से पसीना छूटा करता है, वे भी इस समय अपने मोटे वस्त्र उतार कर। गुरूणि वासांस्यबलाः सयौवनाः प्रयान्ति कालेऽत्र जनस्य सेव्यताम्। 5/2 आजकल लोग मोटे-मोटे कपड़े पहनकर और युवती स्त्रियों से लिपटकर दिन बिताते हैं। त्यजति गुरुनितम्बा निम्ननाभिः सुमध्या उषसि शयनमन्या कामिनी चारु शोभा। 5/12 भारी नितम्बों वाली, गहरी नाभि वाली, लचकदार कमरवाली, मनभावनी सुंदरता वाली स्त्री, प्रातः काल पलँग छोड़कर उठ रही है। गुरूणि वासांसि विहाय तूर्णं तनूनि लाक्षारस रञ्जितानि। 6/15 मोटे वस्त्र उतारकर महावर से रंगे हुए महीन कपड़े पहनती हैं। गुरुतर कुच युग्मं श्रोणिबिम्बं तथैव न भवति किमिदानीं योषितां मन्मथाय। 6/33 स्त्रियों के बड़े-बड़े गोल-गोल स्तन, वैसे ही उनके बड़े-बड़े गोल-गोल
नितंब क्या लोगों के मन में कामदेव को नहीं जगा रहे हैं। 2. पीन - [ प्याय + क्त, संप्रसारणे दीर्घः] स्थूल, विशाल, मोटा, प्रभूत, अधिक।
नितम्बबिम्बेषु नवं दुकूलं तन्वंशुकं पीनपयोधरेषु। 4/3 न अपने गोल-गोल नितंबों पर नये रेशमी वस्त्र ही लपेटती हैं और न अपने मोटे-मोटे स्तनों पर महीन कपड़े ही बाँधती हैं।
For Private And Personal Use Only