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कालिदास पर्याय कोश
चूतदुमाणां कुसुमान्वितानां ददाति सौभाग्यमयं वसन्तः। 6/4 वसंत के आने से मंजरी से लदी हुई आमों की डालें और भी सुहावनी लगने लगी हैं। आदीप्त वह्निसदृशैर्मरुताऽवधूतैः सर्वत्र किंशुकवनैः कुसुमावनप्रैः। 6/21 पवन के झोंके से हिलती हुई सर्वत्र पलास के वृक्षों की फूल से फूली हुई शाखाएँ जलती हुई आग की लपटों के समान दिखाई देती हैं। किं किंशुकैः शुकमुखच्छविभिर्न भिन्न किं कर्णिकार कुसुमैर्न कृतं नु दग्धम्। 6/22 तोते की ठोर के समान लाल टेसू के फूलों ने ही कुछ कम टूक-टूक कर रखा था या कनैर के फूलों ने कुछ कम जला रखा था। नानामनोज्ञकुसुमदुमभूषितान्तान्हृष्टान्यपुष्टनिनदाकुल सानुदेशान्। 6/27 जिन पर्वतों की चोटियों के ओर-छोर पर सुंदर फूलों के पेड़ खड़े हैं, भौंरों की
गूंज सुनाई दे रही है। 2. पुष्प - [पुष्प् + अच्] फूल, कुसुम।
विपत्रपुष्पां नलिनी समुत्सुका विहाय भृङ्गाः श्रुतिहारिनिस्वनाः। 2/14 कानों को सुहाने वाली मीठी तानें लेकर गूंजते हुए भौरे, उस कमल को छोड़-छोड़कर चले जा रहे हैं, जिनके पत्ते और फूल झड़ गए हैं। कालागुरुप्रचुरचन्दनचर्चिताङ्गः पुष्पावतंससुरभीकृत केशपाशाः। 2/22 जिन स्त्रियों के अंगों पर अगरू मिला चंदन लगा हुआ है, जिनके बाल फूलों के गुच्छों से महक रहे हैं। मुदित इव कदम्बैर्जातपुष्पैः समन्तात्पवनचलितशाखैः शाखिभिनत्यतीव। 2/24 चारों ओर खिले हुए कदंब के फूल ऐसे लग रहे हैं मानो जंगल मगन हो उठा हो। पवन से झूमती हुई शाखाओं को देखकर ऐसा लगता है, मानो पूरा जंगल नाच रहा हो। शिरसि बकुलमालां मालतीभिः समेतां विकसितनवपुष्पैथिकाकुड्मलैश्च। 2/25
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