________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
822
कालिदास पर्याय कोश
दन्तावभासविशदस्मितचन्द्रकान्तं कङ्केलिपुष्परुचिरा नवमालती च।3/18 कंकेलि तथा नई मालती के सुंदर फूलों ने दाँतों की चमक से खिल उठने वाली स्त्रियों की मुस्कुराहट की चमक को लजा दिया है। वापी जलानां मणिमेखलानां शशाङ्कभासां प्रमदाजनानाम्। 6/4 बावड़ियों के जल, मणियों से जड़ी करधनी चंद्रमा की चमक (चाँदनी) स्त्रियाँ। लक्ष्मी - [ लक्ष् + ई, मुट् + च] सौंदर्य, आभा, कांति। असितनयनलक्ष्मी लक्षयत्वोत्पलेषु क्वणितकनककाञ्ची मत्तहंस स्वनेषु। 3/26 नीले कमलों में अपनी प्रियतमा की काली आँखों की सुंदरता देखते हैं, मस्त हंसों की ध्वनि में उनकी सुनहरी करधनी की रुनझुन सुनते हैं। स्त्रीणां विहाय वदनेषु शशाङ्कलक्ष्मी काम्यं च हंसवचनं मणिनूपुरेषु। 3/27 कहीं तो चंद्रमा की चमक को छोड़कर स्त्रियों के मुंह में पहुंच गई है, कहीं हंसों
की मीठी बोली छोड़कर उनके रतन जड़े बिछुओं में चली गई है। 7. शोभा - [ शुभ् + अ + यप्] प्रकाश, कांति, दीप्ति, चमक।
अधररुचिरशोभा बन्धुजीवे प्रियाणां पथिकजन इदानीं रोदिती भ्रान्तचितः। 3/26 जब परदेश में गए हुए लोग बंधुजीव के फूलों में अपनी प्रियतमा के निचले होठों की चमकती हुई सुंदरता की चमक पाते हैं, तब वे सब सुध-बुध भूलकर रोने लगते हैं। पीनस्तनोरः स्थलभाग शोभामासाद्य तत्पीडनजात खेदः। 4/7 युवतियों के मोटे-मोटे स्तनों को उनकी सुंदर चमकदार छातियों पर देखकर सुख पाने वाला, उन्हें मले जाते देखकर दुखी होकर। अन्याप्रियेण परिभुक्तमवेक्ष्य गात्रं हर्षान्विता विरचिताधर चारुशोभा। एक दूसरी स्त्री अपने प्यारे से उपभोग किए हुए शरीर को देख-देखकर मगन होती हुई, अपने अधरों को पहले की तरह सुंदर बनाकर। त्यजति गुरुनितम्बा निम्नानाभिः सुमध्या उषसि शयनमन्या कामिनी चारुशोभा। 5/12
For Private And Personal Use Only