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ऋतुसंहार
पुष्पं च फुल्लं नव मल्लिकायाः प्रयान्ति कान्तिं प्रमदाजनानाम् । 6 / 6
स्त्रियों की लटों में अशोक के फूल और नवमल्लिका की खिली हुई कलियाँ बड़ी सुहावनी लगने लगी हैं।
3. द्युति [द्युत + इन्] दीप्ति, कांति, सौंदर्य, उजाला ।
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समागतो राजवदुद्धतद्युतिर्घनागमः कामिजनप्रियः प्रिये । 2/1
देखो प्यारी ! यह कामियों का प्यारा पावस राजाओं का सा ठाट-बाट बनाकर आ पहुँचा है।
कान्तामुखद्युतिजिषामचिरोद्गतानां
शोभां परां कुरबक दुममञ्जरीणाम् 16/20
अभी खिले हुए और स्त्रियों के मुख के समान सुंदर चमक वाले कुरबक के फूलों की अनोखी शोभा देखकर ।
4. प्रभा - [ प्र + भा + अ + टाप्] प्रकाश, दीप्ति, कान्ति, चमक, जगमगाहट । रविप्रभोद्भिन्नशिरोमणिप्रभो विलोलजिह्वाद्वयलीढमारुतः । 1/20
जिसकी मणि सूर्य की चमक से और भी चमक उठी है, वह अपनी लपलपाती हुई दोनों जीभों से पवन पीता जा रहा है।
क्वचित्सगर्भप्रमदास्तनप्रभैः समाचितं व्योम घनैः समन्ततः । 2 / 2 कहीं गभिर्णी स्त्री के स्तनों के समान चमक वाले पीले बादल आकाश में इधर-उधर छाए हुए हैं।
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तडित्प्रभादर्शितमार्ग भूमयः प्रयान्ति रागादभिसारिका स्त्रियः । 2/10 लुक-छिपकर अपने प्यारे के पास प्रेम से जाने वाली कामिनियाँ, बिजली की चमक से मार्ग देखती हुई चली जा रही हैं। परभृतकलंगीतैह्लादिभिः सद्वचांसि स्मितदशनमयूखान्कुन्दपुष्पप्रभाभिः । 6/31
जी हुलसाने वाले कोकिल के गीत सुना-सुना कर यह वसंत सुंदरियों की रसभरी बातों की खिल्ली उड़ा रहा है, अपने कुंद के फूलों की चमक दिखाकर यह वसंत स्त्रियों की मुस्कान पर चमक उठने वाले दाँतों की दमक की हँसी उड़ा रहा है।
भास
[ भास् + क्विप्] प्रकाश, कांति, चमक।
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