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ऋतुसंहार
प्रचण्ड - [ प्रकर्षेण चण्डः - प्रा० श०] उत्कट, अत्यंत तीव्र, उग्र, भीषण, भयंकर, भयावह। प्रचण्डसूर्यः स्पृहणीयचन्द्रमाः सदावगाहक्षतवारिसंचयः। 1/1 धूप बड़ी-कड़ी हो गई है, और चंद्रमा बड़ा सुहावना लगता है, कोई चाहे तो दिन-रात गहरे जल में स्नान कर सकता है। मृगाः प्रचण्डातपतापिता भृशं तृषा महत्या परिशुष्क तालवः। 1/11 अत्यधिक जलते हुए सूर्य की किरणों से झुलसे हुए जिन जंगली पशुओं की
जीभ प्यास से बहुत सूख गई है। 5. प्रचुर - [ प्र + चुर् + क] अति, बहुल, विशाल, विस्तृत, बहुत अधिक,
भरपूर। प्रचुरगुडविकारः स्वादुशालीचरम्यः प्रबलसुरतकेलिर्जातकन्दर्पदर्पः। 5/16 मिठाइयाँ बहुतायत से मिलती हैं, स्वादिष्ट चावल और ईख चारों ओर सुहाते हैं, लोग बहुत संभोग करते हैं, कामदेव भी पूरे वेग से बढ़ जाता है। प्रबल - [प्रकृष्टं बलं यस्य - प्रा० ब०] प्रचंड, अत्यधिक, तीव्र। रचित कुसुमगन्धि प्रायशो यान्ति वेश्म प्रबल मदनहेतोस्त्यक्तसंगीत रागः। 3/23 सब गाना-बजाना छोड़कर अत्यंत कामातुर होकर उन घरों में चली जा रही हैं, जिनमें सुगंधित फूलों की सेज बिछी हुई है। प्रचुरगुडविकारः स्वादुशालीक्षुरम्य: प्रबलसुरतकेलिर्जातकन्दर्पदर्पः। 5/16 मिठाइयाँ बहुत मिलती हैं, स्वाद वाले चावल और ईख चारों ओर सुहाते हैं, लोग बहुत संभोग करते हैं, कामदेव भी पूरे वेग से बढ़ जाता है।
प्रभा 1. आभा - [ आ + भा + अङ्] प्रकाश, चमक, कांति।
कर किसलयकान्तिं पल्लवैविदुमाभैरुपहसति वसन्तः कामिनीनामिदानीम्। 6/31 मूंगे जैसी लाल-लाल कोमल पत्तों की ललाई (चमक) दिखाकर वसंत उन कामिनियों की कोंपलों जैसी कोमल और लाल हथेलियों को जला रहा है।
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