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ऋतुसंहार
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फूलों के बोझ से झुके हुए छतिवन के वृक्षों ने जंगल को और मालती के फूलों ने फुलवारियों को उजला बना डाला है।
आकम्पयन्फलभरानतशालिजालान्यानर्तयँस्तरुवरान्कुसुमावनम्रान् । 3 / 10 अन्न भरी हुई बालियों से झुके धान के पौधों को कँपाता हुआ, फूलों से लदे हुए सुंदर वृक्षों को नचाता हुआ ।
मुक्त्वा कदम्बकुटजार्जुनसर्जनीपान्
सप्तच्छदानुपगता कुसुमोद्गमश्रीः । 3 / 13
फूलों की सुंदरता भी कदंब, कुटज, अर्जुन, सर्ज और अशोक के वृक्षों को छोड़कर छतिवन के पेड़ों पर जा बसी है।
श्यामालताः कुसुमभारनतप्रवाला:
स्त्रीणां हरन्ति धृतभूषण बाहुकान्तिम् । 3 / 18
जिन हरी बेलों की टहनियाँ फूलों के बोझ से झुक गई हैं, उनने स्त्रियों की गहनों से सजी हुई बाहों की सुंदरता छीन ली है। रचितकुसुमगन्धि प्रायशो यान्ति वेश्म
प्रबलमदनहेतोस्त्यक्तसंगीतरागाः । 3/23
अपना सब गाना-बजाना छोड़कर अत्यंत कामातुर होकर उन घरों में चली जा रही हैं, जिनमें सुगंधित फूलों की सेज बिछी है ।
निवेशितान्तः कुसुमैः शिरोरुहैर्विभूषयन्तीव हिमागमं स्त्रियः । 5/8
बालों में फूल गूँथे हुए स्त्रियाँ ऐसी लग रही हैं, मानो जाड़े के स्वागत का उत्सव मनाने के लिए सिंगार कर रही हों ।
अगुरुसुरभिधूपामोदितं केशपाशं
गलितकुसुममालं कुञ्चिताग्रं वहन्ती । 5/12
अगरू के धुएँ में बसी हुई अपनी बिना फूलों की मालावाली घनी घुँघराली लटों को थामे ।
कुर्वन्ति नार्योऽपि वसन्तकाले स्तनं सहारं कुसुमैर्मनोहरैः । 6/3
वसंत ऋतु में स्त्रियाँ भी अपने स्तनों पर मनोहर फूलों की मालाएँ पहनने लगी हैं।
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