________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
784
www. kobatirth.org
कालिदास पर्याय कोश
हिम के समान उजले और अनूठे हार से सजे हुए चंदन पुते स्तन देखकर । व्योम क्वचिद्रजतशङ्खमृणाल गौरेस्त्यक्ताम्बुभिर्लघुतया शतशः प्रयातैः । 3/4 चाँदी, शंख और कमल के समान उजले सहस्रों बादल पानी बरसाने से हल्के होकर आकाश में इधर-उधर घूम रहे हैं ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मनोहरैश्चन्दनरागगौरेस्तुषारकुन्देन्दुनिभैश्च हारैः 1 4/2
हिम, कोईं, और चंद्रमा के समान उजले और कुंकुम के रँग में रँगे हुए मनोहर
हार ।
तन्वंशुकैः कुङ्कुमरागगौरेरलं क्रियन्ते स्तनमण्डलानि । 6 / 5 स्तनों पर केशर में रँगी हुई उजली महीन कपड़े की चोली पहन ली हैं। प्रियङ्गुकालीयककुङ्कुमाक्तं स्तनेषु गौरेषु विलासिनीभिः । 6/14 रसीली स्त्रियाँ प्रियंगु, कालीयक और केसर के घोल में कस्तूरी मिलाकर अपने गोरे-गोरे स्तनों पर ।
3. विमल - [ विगतो मलो यस्मात् प्रा० ब०] पवित्र, निर्मल, मल रहित, स्वच्छ, श्वेत, उज्ज्वल ।
-
कपोलदेशा विमलोत्पलप्रभाः सभृङ्गयूथैर्मदवारिभिश्चिताः । 2/15
जब बहते हुए मद पर भौरें आकर लिपट जाते हैं, उस समय उनके माथे स्वच्छ नीले कमल जैसे दिखाई देने लगते हैं।
4. शुक्ल [ शुच् + लुक्, कुत्वम् ] सफेद, विशुद्ध, उज्ज्वल ।
विभाति शुक्लेतररत्नभूषिता वराङ्गनेवक्षितिरिन्द्रगोपकैः । 2/5
वीरबहूटियों से छाई हुई धरती उस नायिका जैसी दिखाई दे रही है, जो धौले रत्न को छोड़कर और सभी रंग के रत्नों वाले आभूषणों से सजी हुई हो । सप्तच्छ्दैः कुसुमभारनतैर्वनान्ताः शुक्लीकृतान्युपवनानि च मालतीभिः । 3/2 फूलों के बोझ से झुके हुए छतिवन के वृक्षों ने जंगल को और मालती के फूलों फुलवारियों को उजला बना डाला है।
5. सित [सो (सि) + क्त] सफेद, सफेद रंग ।
सितेषु हर्म्येषु निशासु योषितां सुखप्रसुप्तानि मुखानि चन्द्रमाः । 1/9 रात के समय उजले भवन में सुख से सोई हुई युवती का मुख निहारने को उतावला रहने वाला चंद्रमा ।
For Private And Personal Use Only