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ऋतुसंहार
783 पीन स्तनोरः स्थलभागशोभामासाद्य तत्पीडनजातखेदः। 4/7 मानो युवतियों के मोटे-मोटे स्तनों को उनकी छातियों पर देखकर सुख पाने वाला, उन स्तनों को मले जाते देखकर दुखी हो रहा हो। पीनोन्नतस्तन भरानतगात्र यष्ट्यः कुर्वन्ति केशरचनामपरास्तरुण्यः।4/16 जिन स्त्रियों के शरीर, मोटे और ऊंचे स्तनों के कारण झुक गए हैं, वे अपने बालों को फिर से सँवार रही हैं। मध्येषु निम्नो जघनेषु पीनः स्त्रीणामनङ्गो बहुधा स्थितोऽद्य। 6/12 इन दिनों कामदेव भी स्त्रियों की कमर में गहरापन बनकर और नितंबों में
मोटापा बनकर आ बैठता है। 3. पृथु - [ प्रथ + कु, संप्रसारणम्] विस्तृत, बड़ा, चौड़ा।
पृथुजघनभरार्ताः किंचिदानम्रमध्या स्तनभरपरिखेदोन्मन्दमन्द वजन्त्यः। 5/14 अपने मोटे नितंबों के बोझ से दुखी, अपने स्तनों के बोझ से झुकी हुई कमर
वाली और थकने के कारण बहुत धीरे-धीरे चलने वाली बहुत सी स्त्रियाँ। 4. विपुल - [ विशेषेण पोलति - वि + पुल् + क] विशाल, चौड़ा, विस्तृत,
बहुत। हारैः सचन्दनरसैः स्तनमण्डलानि श्रोणीतटं सुविपुलं रसनाकलापैः।3/20 अपने स्तनों पर मोतियों के हार पहनती और चंदन पोतती हैं, अपने भारी-भारी नितंबों पर करधनी बाँधती हैं।
गौर 1. अमल - पवित्र, निष्कलंक, विमल, मलरहित।
ज्योत्स्नादुकूलममलं रजनी दधाना वृद्धिं प्रयात्यनुदिनं प्रमदेव बाला। 3/7 आजकल की रात चाँदनी की उजली साड़ी पहने हुए अलबेली बाला के समान
दिन-दिन बढ़ती चली जा रही है। 2. गौर - [ गु + र, नि०] श्वेत, पीला सा, पीत, सफेद रंग।
पयोधराश्चन्दनपङ्कचर्चितास्तुषारगौरार्पितहारशेखराः। 1/6
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