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कालिदास पर्याय कोश
सती स्त्रियों के लाज और मर्यादा भरे हृदय को भी थोड़ी देर के लिए अधीर कर दिया है।
वायुर्विवाति हृदयानि हरन्नराणां नीहारपातविगमात्सुभगोवसन्ते । 6/24 वसंत में पाला तो पड़ता नहीं इसलिए सुंदर वसंती पवन लोगों का मन हरता हुआ बह रहा है।
मध मधुर कोकिल भृङ्ग नादैर्नार्यो हरन्ति हृदयं प्रसभं नराणाम् । 6/26 चैत में जब कोयल कूकने लगती है, भौरे गूँजने लगते हैं, तब स्त्रियाँ बलपूर्वक लोगों का मन अपनी ओर खींच लेती हैं।
आकम्पितानि हृदयानि मनस्विनीनां
आम्र
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वातैः प्रफुल्लसहकारकृताधिवासैः । 6/34
बौरे हुए आम के पेड़ों में बसे हुए पवन से मनस्विनी स्त्रियों के मन भी डिग जाते हैं।
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चूत
[ अम् + रन्, दीर्घः] आम का वृक्ष, आम का फल ।
आम्रीमञ्जुलमञ्जरी वरशरः सत्किंशुकं यद्धनु
यस्यालिकुलं कलङ्करहितं सितांशुः सितम् । 6 / 38
जिसके आमके बौर की बाण हैं, टेसू ही धनुष हैं, भौंरों की पाँतें ही डोरी हैं, उजला चंद्रमा ही निष्कलंक छत्र है ।
2. चूत [ चूष् + क्त पृषो०] आम का पेड़ ।
प्रफुल्लचूताङ्कुरतीक्ष्णसायको द्विरेफमालाविलसद्धनुर्गुणः । 6 / 1
फूले हुए आम की मंजरियों के पैने बाण लेकर और अपने धनुष पर भौंरों की पाँतों की डोरी चढ़ाकर ।
चूतदुमाणां कुसुमान्वितानां ददाति सौभाग्यमयं वसन्तः । 6/4
वसंत के आने से मंजरी से लदी आम की डालें और भी सुहावनी लगने लगी हैं। पुंस्कोकिलश्चूतरसासवेन मत्तः प्रियां चुम्बति रागहृष्टः । 6/16 यह नर कोयल आम की मंजरियों के रस में मद-मस्त होकर अपनी प्यारी को बड़े प्रेम से प्रसन्न होकर चूम रहा है।
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