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ऋतुसंहार
इन दिनों लोग दिन में तो वृक्षों की शीतल छाया में रहना चाहते हैं, और रात में चंद्रमा की किरणों का आनंद लेना चाहते हैं ।
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3. निशा [नितरां श्यति तनूकरोति व्यापारान् शो + क तारा०] रात । निशा: शशाङ्कक्षतनीलराजयः क्वचिद्विचित्रं जलयन्त्र मन्दिरम् । 1/2 रात्रि में चारों ओर खिले हुए चंद्रमा की चाँदनी छिटकी हो, रंग बिरंगे फव्वारों के तले बैठे हों ।
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व्रजतु तव निदाघः कामिनीभिः समेतो
निशि सुललित गीते हर्म्यपृष्ठे सुखेन । 1/28
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विलोक्य नूनं भृशमुत्सुकश्चिरं निशाक्षये याति ह्रियेव पाण्डुताम् । 1/9 जब बहुत देर तक उनका मुँह देख चुकता है, तो लाज के मारे वह रात के पिछले पहर में उदास हो जाता है
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वह गर्मी की ऋतु आपकी ऐसी बीते कि रात को आप अपने घर की छत पर लेटे हों, सुंदरियाँ आपको घेरे बैठी हों और मनोहर संगीत छिड़ा हुआ हो । प्रकामकामैर्युवभिः सुनिर्दयं निशासु दीर्घास्वभिरामिताश्चिरम् । 5/7 जिनने युवकों के साथ लंबी रातों में बहुत देर तक जी भरकर और कसकर संभोग का आनंद लूटा है।
निशासु हृष्टा सह कामिभिः स्त्रियः पिबन्ति मद्यं मदनीयमुत्तमम् । 5 / 10 स्त्रियाँ बड़े हर्ष से अपने प्रेमियों के साथ रात को काम-वासना जगाने वाली वह मदिरा पीती हैं।
सुरतसमयवेषं नैशमासु प्रहाय दधति दिवसयोग्यं वेषमन्यास्तरुण्यः । 5/14 स्त्रियाँ रात के संभोग वाले वस्त्र उतारकर दिन में पहनने वाले कपड़े पहन रही हैं।
मत्तालियूथविरुतं निशि सीधुपानं सर्वं रसायनमिदं कुसुमायुधस्य । 6/35 मतवाले भौरों की गुँजार और रात में आसव पीना ये सब कामदेव को जगाए रखने वाले रसायन ही हैं।
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4. निशीथ - [ निशेरते जना अस्मिन् निशी अधारे थक - तारा०] आधीरात,
सोने का समय, रात ।