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कालिदास पर्याय कोश चमकते हुए चंद्रमा वाली साँझ के समान जो सुंदरियाँ उजले चंद्रहार आदि
आभूषणों से सजी हुई हैं, वे झट से कामदेव को जगा देती हैं। 6. सितांशु - [ सो (सि) + क्त + अंशुः] चंद्रमा, चाँद।
आम्री मञ्जुलमञ्जरी वरशरः सत्किंशुकं यधनुर्ध्या यस्यालिकुलं कलङ्करहितं छत्रं सितांशुः सितम्। 6/38 जिसके आम के बौर ही बाण हैं, टेसू ही धनुष हैं, भौंरों की पाँत ही डोरी है, उजला चंद्रमा ही निष्कलंक छत्र है। सुधांशु - [ सुष्ठु धीयते, पीयते थे (धा) + क + टाप + अंशुः] चन्द्रमा, चाँद। छायां जनः समभिवाञ्छति पादपानां नक्तं तथेच्छति पुनः किरणं सुधांशोः। 6/11 लोग दिन में तो वृक्षों की शीतल छाया में रहना चाहते हैं और रात में चंद्रमा की किरणों का आनन्द लेना चाहते हैं।
चरण 1. चरण - [ चर् + ल्युट्] पैर, सहारा, स्तंभ।
नितान्तलाक्षारसरागरञ्जितैर्नितम्बिनीनां चरणैः सनूपुरैः। 1/5 स्त्रियों के उन महावर से रंगे पैरों को देखकर जी मचल उठता है, जिनमें बिछुए बजा करते हैं। पाद - [ पद् + घञ्] पैर, चरण। पादाम्बुजानिकलनूपुरशेखरैश्च नार्यः प्रहृष्टमनसोऽद्य विभूषयन्ति। 3/20 आजकल स्त्रियाँ बड़ी उमंग से अपने कमल जैसे कोमल सुंदर पैरों में छम-छम बजने वाले बिछुए पहनती हैं। न नूपुरैर्हसरुतं भजद्भिः पादाम्बुजान्यम्बुजकान्तिभाञ्जि। 4/4 न अपने कमल जैसे सुन्दर पैरों में हंस के समान ध्वनि करने वाले बिछुए ही डालती हैं।
चाप
1. चाप - [ चप् + अण्] धनुष, इंद्रधनुष ।
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