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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 788 कालिदास पर्याय कोश चमकते हुए चंद्रमा वाली साँझ के समान जो सुंदरियाँ उजले चंद्रहार आदि आभूषणों से सजी हुई हैं, वे झट से कामदेव को जगा देती हैं। 6. सितांशु - [ सो (सि) + क्त + अंशुः] चंद्रमा, चाँद। आम्री मञ्जुलमञ्जरी वरशरः सत्किंशुकं यधनुर्ध्या यस्यालिकुलं कलङ्करहितं छत्रं सितांशुः सितम्। 6/38 जिसके आम के बौर ही बाण हैं, टेसू ही धनुष हैं, भौंरों की पाँत ही डोरी है, उजला चंद्रमा ही निष्कलंक छत्र है। सुधांशु - [ सुष्ठु धीयते, पीयते थे (धा) + क + टाप + अंशुः] चन्द्रमा, चाँद। छायां जनः समभिवाञ्छति पादपानां नक्तं तथेच्छति पुनः किरणं सुधांशोः। 6/11 लोग दिन में तो वृक्षों की शीतल छाया में रहना चाहते हैं और रात में चंद्रमा की किरणों का आनन्द लेना चाहते हैं। चरण 1. चरण - [ चर् + ल्युट्] पैर, सहारा, स्तंभ। नितान्तलाक्षारसरागरञ्जितैर्नितम्बिनीनां चरणैः सनूपुरैः। 1/5 स्त्रियों के उन महावर से रंगे पैरों को देखकर जी मचल उठता है, जिनमें बिछुए बजा करते हैं। पाद - [ पद् + घञ्] पैर, चरण। पादाम्बुजानिकलनूपुरशेखरैश्च नार्यः प्रहृष्टमनसोऽद्य विभूषयन्ति। 3/20 आजकल स्त्रियाँ बड़ी उमंग से अपने कमल जैसे कोमल सुंदर पैरों में छम-छम बजने वाले बिछुए पहनती हैं। न नूपुरैर्हसरुतं भजद्भिः पादाम्बुजान्यम्बुजकान्तिभाञ्जि। 4/4 न अपने कमल जैसे सुन्दर पैरों में हंस के समान ध्वनि करने वाले बिछुए ही डालती हैं। चाप 1. चाप - [ चप् + अण्] धनुष, इंद्रधनुष । For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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