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कालिदास पर्याय कोश
परभृतकलगीतैीदिभिः सद्वचांसि स्मितदशनमयूखान्कुन्दपुष्प प्रभाभिः। 6/31 इस समय जी हुलसाने वाले कोकिल के गीत सुना-सुनाकर यह वसंत, अपने कुन्द के फूलों की चमक दिखाकर स्त्रियों की मुस्कान पर चमक उठने वाले दाँतों की दमक की हँसी उड़ा रहा है। उत्कूजितैः परभृतस्य मदाकुलस्यश्रोत्रप्रियैर्मधुकरस्य च गीतनादैः। 6/34 मदमस्त होने वाले कोयल की कूक से और भौंरों की मनभावनी गुंजार से। मत्तेभो मलयानिलः परभृतायद्बन्दिनोलोकजित्सोऽयं वो वितरीतरीतु वितनुर्भद्रं वसन्तान्वितः। 6/38 जिसका मलयाचल से आया हुआ पवन ही मतवाला हाथी है, कोयल ही गायक है और शरीर न रहते हुए जिसने संसार को जीत लिया है, वह कामदेव वसंत के साथ आपका कल्याण करे।
गज
1. कुञ्जर - [ कुओ हस्तिहनुः सोऽस्यास्ति - कुञ्ज + र] हाथी।
ससीकराम्भोधरमत्तकुञ्जरस्तडित्पताकोऽशनि शब्द मर्दलः। 2/1 जल की फुहारों से भरे हुए बादलों के मतवाले हाथी पर चढ़ा हुआ, चमकती बिजलियों के झंडियों को फहराता हुआ, और बादलों की गरज के नगाड़े
बजाता हुआ। 2. गज - [ गज + अच्] हाथी।
न हन्त्यदूरेऽपि गजान्मृगेश्वरोविलोलजिह्वश्चलिताग्रकेसरः। 1/14 हाथियों के पास होने पर भी यह सिंह उन्हें मार नहीं रहा है, बल्कि अपनी जीभ से अपने ओंठ चाटता जा रहा है और हाँफने से इसके कंधे के बाल हिलते जा रहे हैं। परस्परोत्पीडनं संहतैर्गजैः कृतं सरः सान्द्रविमर्दकर्दमम्। 1/19 हाथियों ने इकट्ठे होकर आपस में लड़-भिड़कर ताल को कीचड़ में बदल डाला है।
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