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ऋतुसंहार
नद्यो घना मत्तगजा वनान्ताः प्रियाविहीनाः शिखिनः प्लवङ्गाः । 2/19 नदियाँ, बादल, मस्तहाथी, जंगल, अपने प्यारों से बिछुड़ी हुई स्त्रियाँ, मोर तथा बंदर |
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1.
कपोल
1. कपोल - [ कपि + ओलच् ] गाल ।
कपोलदेशा विमलोत्पलप्रभाः सभृङ्गयूथैर्मदवारिभिश्चिताः । 2/15
जब बहते हुए मद पर भौरे आकर लिपट जाते हैं, तब उनके गाल (माथे) स्वच्छ नीले कमल जैसे दिखाई देने लगते हैं।
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2. गण्ड - [ गण्ड + अच्] गाल ।
नेत्रेषु लोलो मदिरालसेषु गण्डेषु पाण्डुः कठिनः स्तनेषु । 6/12
मदमाती आँखों में चंचलता बनकर, गालों में पीलापन, बनकर, स्तनों में कठोरता बनकर |
कनककमलकान्तैराननैः पाण्डुगण्डै
रुपरिनिहित हारैश्चन्दनादैः स्तनान्तैः । 6/32
स्वर्णकमल के समान सुनहरे गालों वाले मुँह से, गीले चंदन से पुते और मोतियों के हार पड़े हुए स्तन से ।
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काल
काल [ कु ईषत् कृष्णत्वं लाति ला + क, को: कादेश: ] समय, अवधि, दिन के घंटे या प्रहर ।
दिनान्तरम्योऽभ्युपशान्तमन्मथो निदाघकालोऽयमुपागतः प्रिये । 1/1
प्रिये ! गरमी के दिन (समय) आ गए हैं। इन दिनों साँझ बड़ी लुभावनी होती है और कामदेव तो एकदम ठंडा पड़ गया है।
विनिपतिततुषारः क्रौञ्चनादोपगीतः
प्रदिशतु हिमयुक्तस्त्वेष कालः सुखं वा । 4/19
यह हेमंत ऋतु आपको सुख दे, जिसमें पाला गिरता है और सारस बोलते हैं।