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कालिदास पर्याय कोश प्रकामकामं प्रमदाजनप्रियं वरोरु कालं शिशिराह्वयं शृणु। 5/1 हे सुंदर जाँघों वाली! सुनो, जिस ऋतु में काम भी बहुत बढ़ जाता है, वह स्त्रियों की प्यारी ऋतु आ पहुँची है। गुरूणि वासांस्यबलाः सयौवनाः प्रयान्ति कालेऽत्र जनस्य सेव्यताम्। 5/2 इस समय लोग मोटे-मोटे कपड़े पहनकर और युवती स्त्रियों से लिपटकर दिन बिताते हैं। अभिमतरतवेषं नन्दन्त्यस्यरुण्यः सवितुरुदयकाले भूषयन्याननानि। 5/15 अपने मनचाहे संभोग के वेश पर खिलखिलाती हुई स्त्रियाँ प्रातः काल अपना मुँह सजा रही हैं। कुर्वन्ति नार्योऽपि वसन्तकाले स्तनं सहारं कुसुमैर्मनोहरैः। 6/3 वसंत ऋतु में स्त्रियाँ भी अपने स्तनों पर मनोहर फूलों की मालाएँ पहनने लगी
विविधमधुपयूथैर्वेष्ट्यमानः समन्ताद्भवतु तव वसन्तः श्रेष्ठकालः सुखाय। 6/37
चारों ओर भौंरो से घिरा हुआ वसन्त काल आपको सुखी और प्रसन्न रखे। 2. समय - [ सम + इ + अच्] काल, अवसर, मौका।
सुरतसमयवेषं नैशमाशु प्रहाय दधति दिवस योग्य वेषमन्यास्तरुण्यः। 5/14 बहुत सी स्त्रियाँ रात के संभोग के समय वाले वस्त्र उतारकर दिन में पहनने वाले कपड़े पहन रही हैं। प्रियजनरहितानां चित्तसंतापहेतुः शिशिरसमय एष श्रेयसे वोऽस्तु नित्यम्। 5/16 जिस शिशिर ऋतु में प्यारों के बिना अकेले दिन काटने वाले लोग मन मसोस कर रह जाते हैं, वह आप लोगों का भला करे। सद्यो वसन्तसमयेन समाचितेयं रक्तांशुका नववधूरिव भाति भूमिः। 6/21 वसंत के समय पृथ्वी ऐसी लग रही है, मानो लाल साड़ी पहने हुए कोई नई दुलहिन हो। रम्य प्रदोषसमयः स्फुटचन्द्रभासः पुस्कोकिलस्य विरुतं पवनः सुगन्धिः। 6/35
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