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मेघदूतम्
मेरे साथ किए हुए संभोग के आनंद का मन ही मन रस लेती हुई बैठी होगी। तत्संदेशैर्हृदयनिहितैरागतं त्वत्समीपम् । उ० मे० 41
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तुम्हारे पास उनका संदेश हृदय में लेकर आया हूँ । त्वामुत्कण्ठोच्छ्वसितहृदया वीक्ष्य संभाव्य चैवम् । उ० मे० 42
बड़े खिले हुए जी (हृदय) से और बड़े आदर से तुम्हारी ओर देखेगी । शापस्यान्तं सदयहृदयः संविधायास्तकोपः । उ० मे० 61 उनके मन में बड़ी दया आई, उनका क्रोध उतर गया और उन्होंने अपना शाप लौटकर |