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ऋतुसंहार
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4. मरुत - [ मृ + उत्] वायु, वायुदेवता, देवता।
पाकं व्रजन्ती हिमजातशीतैराधूयमाना सततं मरुद्भिः। 4/11 पाले से भरी हुई ठंडी वायु से हिलती हुई यह पकी हुई लता। आदीप्त वह्निसदृशैर्मरुताऽवधूतैः सर्वत्र किंशुकवनैः कुसुमावनगैः। 6/21 पवन के झोंके से हिलती हुई जिन पलास के वृक्षों की शाखाएँ जलती हुई आग
की लपटों के समान दिखाई देती हैं। 5. मारुत - [ मरुत् + अण्] हवा, वायु, वायुदेवता।
रविप्रभोभिन्नशिरोमणिप्रभो विलोलजिह्मद्वयलीढ मारुतः। 1/20 जिसकी मणि सूर्य की चमक से और भी चमक उठी है, वह अपनी लपलपाती हुई दोनों जीभों से पवन पीता जा रहा है। वात - [ वा + क्त] हवा, वायु, वायु देवता। असह्यवातोद्धतरेणुमण्डला प्रचण्डसूर्यातपतापिता मही। 1/10 जब आंधी के झोंकों से उठी हुई धूल के बवंडरों वाली और कड़ी धूप की लपटयें से तपी हुई धरती को देखते हैं। आकम्पितानि हृदयानि मनस्विनीनां वातैः प्रफुल्लसहकार कृताधिवासैः। 6/34 बौरे हुए आम के पेड़ों में बसे हुए पवन से मनस्विनी स्त्रियों के मन भी डिग
जाते हैं। 7. वायु [ वा उण् युक् च] हवा, पवन, वायु।
शरदि कुमुदसङ्गाद्वायवो वान्ति शीता विगतजलदवृन्दा दिग्विभागा मनोज्ञाः। 3/22 आजकल कमलों को छूता हुआ शीतल पवन बह रहा है, बादलों के उड़ जाने से चारों ओर सब सुहावना दिखाई देता है। न वायवः सान्द्र तुषारशीतला जनस्य चित्तं रमयन्ति सांप्रतम्। 5/3 इन दिनों न घनी ओस से ठंडा बना हुआ वायु ही लोगों के मन को भाता है। वायुर्विवाति हृदयानि हरन्नराणां नीहारपातविगमात्सुभगो वसन्ते। 6/24
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