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कालिदास पर्याय कोश मन्द प्रभातपवनोद्गतवीचिमालान्युत्कण्ठयन्ति सहसा हृदयं सरांसि।3/11 जिनमें प्रातः काल के धीमे-धीमे पवन से लहरे उठ रही हैं, वे ताल अचानक हृदय को मस्त बनाए डाल रहे हैं। धुन्वन्ति पक्षपवनैर्न नभो बलाकाः पश्यन्ति नोन्नतमुखा गगनं मयूराः। 3/12 न बगुले ही अपने पंख हिला-हिलाकर वायु से आकाश को पंखा कर रहे हैं और न मोरों के झुंड ही मुँह उठाकर आकाश को देख रहे हैं। उत्कण्ठ्यत्यतितरां पवनः प्रभाते पत्रान्तलग्नतुहिनाम्बु विधूयमानः। 3/15 प्रातः काल पत्तों पर पड़ी हुई ओस की बूंदें गिराता हुआ पवन किसे मस्त नहीं बना देता। दुमाः सपुष्पाः सलिलं सपद्म स्त्रियः सकामाः पवनः सुगन्धिः। 6/2 सब वृक्ष फूलों से लद गए हैं, जल में कमल खिल गए हैं, स्त्रियाँ मतवाली हो गई हैं, वायु में सुगंध आने लगी है। रुचिर कनककांतीन्मुञ्चतः पुष्पराशीन्मृदुपवनविधूतान्पुष्पिताँश्चूतवृक्षान्। 6/30 मंद-मंद पवन के झोंके से हिलते हुए और सुन्दर सुनहले बौर गिराने वाले, बौरे हुए आम के वृक्षों को। रम्यः प्रदोष समयः स्फुटचन्द्रभासः पुँस्कोकिलस्य विरुतं पवनः सुगन्धिः। 6/35 लुभावनी साँझें, छिटकी चाँदनी, कोयल की कूक, सुगंधित पवन। चूतामोद सुगन्धिमन्दपवनः शृङ्गारदीक्षागुरुः कल्पान्तं मदनप्रियो दिशतु वः पुष्पागमो मङ्गलम्। 6/36 आम के बौरों की सुगंध में बसे हुए मंद-मंद पवन से यह शृंगार की शिक्षा देने वाला और काम का मित्र वसंत आप लोगों को सदा प्रसन्न रखे। मलय पवन विद्धः कोकिलालापरम्यः सुरभिमधुनिषेकाल्लब्धगन्ध प्रबन्धः। 6/37 मलय के वायु वाला, कोयल की कूक से जी लुभाने वाला, सदा सुगंधित मधु बरसाने वाला।
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