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कालिदास पर्याय कोश
वसंत में पाला तो पड़ता नहीं, इसलिए चारों ओर फैलाने वाला सुंदर वसंती पवन लोगों का मन हरता हुआ बह रहा है। समीर [ सम् + ईर + अच्] हवा, वायु। ससीकराम्भोधरसङ्गशीतलः समीरणः कं न करोति सोत्सुकम्। 2/17 बादलों से ठंडा होकर बहने वाला वायु किसे मस्त नहीं कर देता।
अम्भोधर 1. अभ्र - [ अभ्र + अच्] बादल।
ससंभ्रमालिङ्गनचुम्बनाकुलं प्रवृत्तनृत्यं कुलमद्य बर्हिणाम्। 2/6 बादलों की शोभा को देखकर ये मोरों के झुंड अपनी प्यारी मोरनियों को गले
लगाते हुए और चूमते हुए आज नाच उठे हैं। 2. अम्बुद - [ अम्ब् + उण् + दः] बादल।।
सितोत्पलाभाम्बुदचुम्बितोपलाः समाचिताः प्रस्रवणैः समन्ततः। 2/16 धौले कमल के समान उजले बादल जिन चट्टानों को चूमते चलते हैं, उन पर
से बहने वाले झरनों को देखकर। 3. अम्भोधर - [ आप् + (अम्भ) + असुन् + धरः] बादल।
ससीकराम्भोधरमत्तकुञ्जरस्तडित्पताकोऽशनिशब्दमर्दलः। 2/1 जल की फुहारों से भरे हुए बादलों के मतवाले हाथी पर चढ़ा हुआ, चमकती हुई बिजलियों की झंडियों को फहराता हुआ और बादलों की गरज के नगाड़े बजाता हुआ। ससीकराम्भोधरसङ्गशीतलः समीरणः कं न करोति सोत्सुकम्। 2/17 बादलों से ठंडा होकर बहने वाला वायु किसे मस्त नहीं कर देता। घन - [ हन् मूर्ती अप् घनादेशश्च - तारा०] बादल। समागतो राजवदुद्धतातिर्घनागमः कामिजनप्रियः प्रिये। 2/1 देखो प्यारी बादलों, चमकती हुई बिजलियों के साथ गरजता हुआ कामियों का प्यारा पावस राजाओं का सा अट-बाट बनाकर आ पहुंचा है। क्वचित्सगर्भप्रमदास्तनप्रभैः समाचितं व्योम घनैः समन्ततः। 2/2
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