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कालिदास पर्याय कोश
हे सौभाग्यवती ! मैं तुम्हारे पति का प्रिय मित्र मेघ । 3. घन - [हन् मूर्तो अप् घनादेशश्च - तारा०] बादल।
दिक्संसक्तप्रविततघनव्यस्तसूर्यातपानि। उ० मे० 48
जब चारों ओर उमड़ी हुई घने बादलों की घय सूर्य पर छा जाएगी। 4. जलद - [ जल् + अक् + दः] बादल।
संदेशं मे तदनु जलद श्रोष्यसि श्रोत्रपेयम्। पू० मे० 13 हे मेघ! तब मैं अपना प्यारा संदेश भी सुना दूंगा। त्वां जलद शिरसा वक्ष्यति श्लाघ्यमानः। पू० मे० 19 हे मेघ! बहुत से खेल करते हुए तुम कैलास पर्वत पर जी भरकर घूमना। सत्वं रात्रौ जलद शयनासन्नवातायनस्थः। उ० मे० 29 है मेघ! तुम उसके पलंग के पास वाली खिड़की पर बैठकर परखना और रात में जब ----1 तस्मिन्काले जलद यदि सा लब्धनिद्रा सुखाः। उ० मे० 59 हे मेघ! तुम्हारे पहुँचने पर यदि उसे कुछ नींद आने लगे तो। श्रुत्वा वा जलदकथितां तां धनेशोऽपि सद्यः। उ० मे० 61
जब कुबेर ने यह सुना कि बादल ने उसे ऐसा संदेश दिया है, तब उसने। 5. जलधर - [जल् + अक + धरः] बादल।
अप्यन्यस्मिञ्जलधर महाकालमासाद्य काले। पू० मे० 38
हे मेघ! यदि तुम उस महाकाल के मंदिर में साँझ होने से पहले पहुँच जाओ।
तं संदेशं जलधरवरो दिव्यवाचा चचक्षे। उ० मे० 60
उस भले मेघ ने दैवी शब्दों में सब संदेश सुना डाला। 6. जलमुच - [ जल् + अक् + मुच्] बादल।
शङ्कास्पृष्टा इव जलमुचस्त्वादृशा जालमार्गः। उ० मे08
तुम्हारे जैसे बहुत से बादल डर के मारे झरोखों की जालियों में। 7. जललवमुच - [ जल् + अक् + लवमुच्] बादल।
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