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मेघदूतम्
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बताए हुए चिह्नों को देखकर उसने यक्ष का वह भवन पहचान लिया। मत्वागारं कनकरुचिरं लक्षणैः पूर्वमुक्तः। उ० मे० 62 बताए हुए चिह्नों से उसने वियोगी यक्ष का सोने का चमकता हुआ भवन
पहचान लिया। 2. गृह - [ग्रह + क] निवास, आवास, भवन।
तत्रागारं धनपतिगृहानुत्तरेणास्मदीयं। उ० मे० 15
वहीं कुबेर के भवन से उत्तर की ओर हमारा घर तुम्हें। 3. प्रासाद - [प्रसीदन्तिं अस्मिन् - प्रसद् + घञ्, उपसर्गस्य, दीर्घः] महल,
भवन, विशाल भवन। प्रसादास्त्वां तुलयितुमुलं यत्र तैस्तैर्विशेषैः। उ० मे0 1
वहाँ के ऊँचे-ऊँचे भवन सब बातों में तुम्हारे जैसे ही हैं। 4. भवन - [भू + ल्युट्] घर, भवन।
बन्यु प्रीत्या भवनशिखिभिर्दत्तनृत्योपहारः। पू० मे0 36 अपना सगा समझकर भवनों में रहने वाले मोर भी नाच उठेंगे। तां कस्यांचिद्भवन वलभौसुप्तपारावतायां। पू० मे० 42 अपनी प्यारी बिजली को लेकर तुम किसी ऐसे मकान के छज्जे पर रात बिता देना, जिसमें कबूतर सोए हुए हों। क्षामच्छायं भवनमधुना मद्वियोगेन नूनं। उ० मे0 20 मेरे बिना वह भवन बड़ा सूना सा और उदास सा दिखाई देता होगा। अर्हस्यन्तर्भवनपतितां कर्तुमल्पाल्यभासं। उ० मे० 21
साँझ को थोड़ी-थोड़ी सी चमकाकर मेरे घर के भीतर झाँकना। 5. विमान - [वि + मन् + घञ्] महल, कमरा, भवन।
या वः काले वहति सलिलोद्गारमुच्चैर्विमाना। पू० मे० 67 ऊंचे-ऊंचे भवनों वाली अलका पर बरसते हुए बादल वर्षा के दिनों में छाए. रहते हैं। नेत्रा नीताः सततगतिना यद्विमानानभूमिः। उ० मे० 8 तुम्हारे जैसे बहुत से बादल, वायु के झोंकों के साथ वहाँ के भवनों के ऊपरी खंडों में घुसकर।
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