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कालिदास पर्याय कोश अप्यन्यस्मिञ्जलधर महाकालमासाद्य काले। पू० मे० 38
हे मेघ! यदि तुम महाकाल के मंदिर में साँझ होने से पहले पहुंच जाओ तो। 8. शंभु - [शम् +भू + डु] शिव।
शंभोः केशग्रहणमकरादिन्दुलग्नोर्मिहस्ता। पू० मे० 54 अपनी लहरों के हाथ चंद्रमा पर टेककर शिवजी के केश पकड़कर। हित्वा तस्मिन्भुजगवलयं शंभुना दत्तहस्ता। पू० मे० 64 महादेव जी ने उनके (पार्वती जी) डर से अपने साँपों के कड़े हाथ से उतार
दिए होंगे। 9. शशिभृत - [शशोऽस्त्यस्य इनि + भृत्] शिव का विशेषण, शिव।
रक्षाहेतोर्नवशशिभृता वासवीनां चमूनाम्। पू० मे० 47
इन्द्र की सेनाओं को बचाने के लिए शिवजी ने। 10. शूलिन् - [शूलम्स्त्य स्य इनि] शिव।
कुर्वन्संध्याबलिपटहतां शूलिनः श्लाघनीयाम्। पू० मे० 38
जब महादेवी जी की साँझ की सुहावनी आरती होने लगे। 11. हर - [ह + अच्] शिव।
बाह्योद्यानस्थितहरशशिश्चन्द्रिकाधौतहh। पू० मे07 जहाँ के भवनों में, बस्ती के बाहर वाले उद्यान में बनी हुई शिवजी की मूर्ति के सिर पर जड़ी हुई चंद्रिका से सदा उजाला रहा करता है। धौतापाङ्गं हर शशिरुचा पावकेस्तं मयूरं। पू० मे0 48 उस मोर के नेत्रों के कोने, शिवजी के सिर पर धरे हुए चंद्रमा की चमक से दमकते रहते हैं।
हर्म्य
1.
आगार - [आगमृच्छति - ऋ+ अण्] घर, आवास । तत्रागारं धनपतिगृहानुत्तरेणास्मदीयं। उ० मे० 15 वहीं कुबेर के भवन से उत्तर की ओर हमारा घर तुम्हें। यक्षागारं विगलितनिभं दृष्टिचिरैर्विदित्वा। उ० मे० 59
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