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साद्य महल, प्रासाद, भवन, मंदिर ।
अप्यन्यस्मिञ्जलधर महाकालमासाद्य काले स्थातव्यं । पू० मे० 38
हे मेघ ! यदि तुम महाकाल के मंदिर में साँझ होने के पहले पहुँच जाओ तो वहाँ
तब तक ठहरना ।
सौध - विशाल भवन, महल, बड़ी हवेली ।
तामुन्निद्रामवनिशयनां सौधवातायनस्थः । उ० मे० 28
मेरे भवनों के झरोखों पर बैठकर उसे देखना, वह तुम्हें धरती पर उनींदी सी पड़ी मिलेगी।
हस्त
कालिदास पर्याय कोश
हर्म्य - [ हृ + यत्, मुट् च] प्रासाद, महल, भवन ।
बाह्योद्यान स्थितहरशिरश्चन्द्रिकाधौत हर्म्या । पू० मे० 7
जहाँ के भवनों में, बस्ती के बाहर वाले उद्यान में बनी हुई शिवजी की मूर्ति के सिर पर जड़ी हुई चंद्रिका से सदा उजाला रहा करता है।
हर्म्येष्वस्याः कुसुमसुरभिष्वध्वखेदं न येथा लक्ष्मीं पश्यं । पू०
तब तुम फूलों के गंध से महकते हुए वहाँ के उन भवनों की सजावट देखकर अपनी थकावट दूर कर लेना ।
यस्यां यक्षाः सितमणिमयान्येत्य हर्म्यस्थलानि । उ० मे० 5
वहाँ के यक्ष स्फटिक मणि से बने हुए अपने उन भवनों पर बैठते हैं।
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मे० 36
कर - [कृ (कृ) + अप्] हाथ ।
प्रत्यावत्तस्त्वयि कर रुधि स्यादनल्पाभ्यसूयः । पू० मे० 43
उनको मत ढकना, तुम उनके हाथ न रोक बैठना, नहीं तो वे बुरा मान जाएँगे । तस्या: किंचित्करधृतमिव प्राप्तवानीर शाखं । पू० मे० 45
अपनी बेंत की लताओं के सदृश हाथों से अपने वस्त्र थामे हुए है।
दामोक्तव्यामयमितखेनैकवेणीं करेण । उ० मे० 30
वह अपने बढ़े हुए नखों वाले हाथ से अपनी उस इकहरी चोटी के रूखे और उलझे हुए बालों को हटा रही होगी ।