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कालिदास पर्याय कोश
प्रेक्ष्योपान्त स्फुरिततडित त्वां तमेव स्मरामि। उ० मे० 17
जब मैं तुम्हें बिजली के साथ देखता हूँ, तब उसे ही याद करता हूँ। 2. विद्युत - [ विशेषेण द्योतते - वि + धुत + क्विप्] बिजली।
विद्युद्दामस्फुरितचकितैस्तत्र पौराङ्गनानां। पू० मे० 29 तुम्हारी बिजली की चमक से डरकर वहाँ की स्त्रियाँ । नीत्वां रात्रिं चिरबिलसना खिन्न विद्युत्कलनः। पू० मे० 42 बहुत देर तक चमकते-चमकते थकी हुई अपनी प्यारी बिजली को रात में लेकर। विद्युत्वन्तं ललितवनिताः सेन्द्रचापं सचित्राः। उ० मे० 1 यदि तुम्हारे साथ बिजली है, तो उन में चटकीली नारियाँ हैं, और यदि तुम्हारे पास इंद्रधनुष है, तो उन में रंग-बिरंगे चित्र हैं। खद्योतालीविलसितनिभां विधुदुन्मेष दृष्टिम्। उ० मे० 21 अपनी बिजली की आँखें जुगनुओं के समान थोड़ी-थोड़ी चमका कर झांकना। मा भूदेवं क्षणमपि च ते विद्युता विप्रयोगः। उ० मे० 58 प्यारी बिजली से एक क्षण के लिए भी तुम्हारा वैसा वियोग न हो, जैसा मैं
भोग रहा हूँ। 3. सौदामनी - [सुदामन् + अण् + ङीप् पक्षे पृषो० साधु:] बिजली।
सौदामन्याकनकनिकषस्निग्धयादर्शयोीं। पू० मे० 41 कसौटी में सोने के समान दमकने वाली अपनी बिजली चमकाकर उन्हें ठीक-ठीक मार्ग दिखा देना।
विरह 1. असावती - विरह, बिछोह, वियोग।
वेणीभूतप्रतनुसलिलाऽसावतीतस्य सिन्धुः। पू० मे० 31
नदी की धारा तुम्हारे बिछोह में चोटी के समान पतली हो गई होगी। 2. विप्रयुक्त - [ वि + प्र + युज् + क्त] पृथक किया हुआ वंचित, विरहित।
तस्मिन्नद्रौ कतिचिदबला विप्रयुक्तः स कामी। पू० मे० 2
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