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3.
मेघदूतम्
747 यदि तुम्हारे साथ बिजली है, तो उन भवनों में भी चटकीली नारियाँ हैं, यदि तुम्हारे पास इंद्रधनुष है, तो वहाँ रंग-बिरंगे चित्र हैं। सुभग - [सु + भग] प्रिय, मनोहर, सुंदर, मनोरम। सेविष्यन्ते नयनसुभगं खे भवन्तं बलाकाः। पू० मे० 10 तुम्हारा यह आँखों को सुहाने वाला रूप देखकर आकाश में उड़ने वाली बगुलियाँ भी समझ लेंगी। तच्छ्रुत्वा ते श्रवणसुभगं गर्जितं मानसोत्काः। पू० मे० 11 वही कानों को भला लगने वाला तुम्हारा गरजना सुनकर मानसरोवर जाने को उतावले राजहंस। संसर्पन्त्याः स्खलितसुभगं दर्शितावर्तनाभेः। पू० मे० 30 जो इस सुंदर ढंग से रुक-रुककर बह रही होगी कि उसमें पड़ी हुई भंवर तुम्हें उसकी नाभि जैसी दिखाई देगी। सौभाग्यं ते सुभग विरहावस्थया व्यञ्जयन्ती कायं। पू० मे० 31 हे बड़भागी मेघ! अपनी यह वियोग की दशा दिखाकर यह बता रही होगी कि मैं तुम्हारे वियोग में सूखी जा रही हूँ। छायात्माऽपि प्रकृति सुभगो लप्स्यते ते प्रवेशम्। पू० मे० 44 तुम्हारे सहज-सलोने शरीर की परछाईं उसके जल में अवश्य दिखाई देगी। तालैः शिञ्जां वलय सुभगैर्नर्तितः कान्तया मे। उ० मे० 19 मेरी स्त्री उसे अपने घुघरूदार कड़े वाले हाथों से तालियाँ बजा-बजाकर सुन्दर ढंग से नचाया करती है। वाचालं मां न खलु सुभगम्मन्यभावः करोति। उ० मे० 36 यह न समझो कि ऐसी पतिव्रता स्त्री का पति होने के सौभाग्य से मैं इतना बढ़ा-चढ़ाकर बोल रहा हूँ।
सुरगज
1. ऐरावत - [इरा आपः तद्वान् इरावान् समुद्रः, तस्यादुत्पन्नः अण] इंद्र का
हाथी, श्रेठ हाथी।
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