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कालिदास पर्याय कोश 2. साधु - [ साध् + उन्] गुणी, पुण्यात्मा, सज्जन।
त्वामासार प्रशमित वनोपप्लवं साधु मूर्जा वक्ष्यति। पू० मे० 17 जब तुम जंगल की आग बुझाओगे तब वह सज्जन पर्वत तुम्हें थका समझकर चोटी पर ठहरावेंगे। एभिः साधो! हृदयनिहितैर्लक्षणैर्लक्षयेथा। उ० मे0 20 हे साधु! यदि तुम मेरे बताए हुए ये चिह्न भली-भाँति स्मरण रखोगे।
सारंग 1. मृग - [मृग् + क] हरिण, चौपाया जानवर।
आसीनानां सुरभितशिलं नाभिगन्धैर्मंगाणां। पू० मे० 56 जिसकी शिलाएँ कस्तूरी हरिणों के सदा बैठने से महकती रहती हैं। त्वय्यासन्ने नयनमुपरिस्पन्दि शङ्के मृगाक्ष्या। उ० मे० 37 जब तुम उसके पास पहुँचोगे तब उस मृगनयनी की वह बाईं आँख फड़क
उठेगी। 2. सारंग - [स + अङ्गच् + अण्] हरिण ।
सारङ्गास्तेजललवमुचः सूचयिष्यन्ति मार्गम्। पू० मे० 22 हे मेघ! वे हरिण तुम्हें मार्ग बताते चलेंगे।
सुभग 1. रम्य - [रम्यतेऽत्र यत्] सुहावना, सुखद, रुचिकर, सुंदर।
त्वन्निष्यन्दोच्छ्वसितवसुधा गन्ध संपर्क रम्यः। पू० मे० 46 वह शीतल सुहावना पवन तुम्हारी सेवा करेगा, जिसमें तुम्हारे बरसाए हुए जल से आनंद की साँस लेती हुई धरती का गंध भरा होगा। नित्यज्योत्स्नाः प्रतिहततमोवृत्ति रम्याः प्रदोषाः। उ० मे० 3
वहाँ की रातें सदा चाँदनी रहने से बड़ी उजली और मनभावनी होती हैं। 2. ललित - [लल् + क्त] प्रिय, सुन्दर, मनोहर।
विद्युत्वन्तं ललितवनिता: सेन्द्रचापं सचित्राः। उ० मे० 1
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