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कालिदास पर्याय कोश शर - [शृ + अच्] बाण, तीर। राजान्यानां सितशरशतैर्यत्र गाण्डीवधन्वा। पू० मे० 52 जहाँ गांडीवधारी अर्जुन ने अपने शत्रु राजाओं पर अनगिनत बाण बरसाए थे।
शशि 1. इन्दु - [उनत्ति क्लेदयति चन्द्रिकया भुवनम् - उन्द् + उ आदेरिच्च] चंद्रमा।
इन्दोर्दैन्यं त्वदनुसरण क्लिष्टकान्तेर्बिभर्ति। उ० मे० 24 मेघ से ढके हुए चंद्रमा के समान धुंधला और उदास दिखाई दे रहा होगा। पादानिन्दोरमृतशिशिराञ्जालमार्गप्रविष्टान्। पू० मे0 32 जालियों में से छनकर जो चंद्रमा की किरणें आ रही होंगी उन्हें पहले के समान ठंडा समझकर। शंभोः केशग्रहणमकरादिन्दु लग्नोर्मिहस्ता। पू० मे० 54
अपनी लहरों के हाथ चंद्रमा पर टेककर शिवजी के केश पकड़कर। 2. शशि - [शशोऽस्त्यस्य इनि] चाँद, चंद्रमा।
धौतापाङ्गं हरशशिरुचा पावकेस्तं मयूरं। पू० मे0 48 उस मोर के (नेत्रों के कोने), शिवजी के सिर पर धरे हुए चंद्रमा की चमक से दमकते रहते हैं। वक्त्रच्छायां शशिनि शिखिना बहभारेषु केशान्। उ० मे० 46
चंद्रमा में तुम्हारा मुख, मोरों के पंखों में तुम्हारे बाल। 3. हिमांशु - [हि + मक् + अंशुः] चंद्रमा, चाँद।
प्राचीमूले तनुमिव कलामात्रशेषां हिमाशोः। उ० मे0 31 पूरब के क्षितिज पर पहुँचे हुए एक कला भर बचे हुए चंद्रमा के समान दुबली होकर।
1. शिखर - [शिखा अस्त्यस्य - अरच् आलोपः] चोटी, पहाड़ का सिरा या
शृंग।
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