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मेघदूतम्
त्वय्यारूढे शिखरमचलः स्निग्धवेणीसवणे। पू० मे० 17 वह पहाड़ बड़े प्रेम से, आदर के साथ तुम्हें अपनी चोटी पर ठहरावेगा। शृङ्ग - [V + गन्, पृषो० मुम् ह्रस्वश्च] पहाड़ की चोटी। अद्रेःशृङ्गं हरति पवनः किस्विदित्युन्मुखीभिः। पू० मे० 14 तुम्हारी ओर ऊपर मुँह करके देखती हुई सोचेंगी कि कहीं पहाड़ की चोटी को पवन तो नहीं उड़ाए लिए चला जा रहा। वक्ष्यस्यध्वश्रमविनयनेतस्यशृङ्गे निषण्णः। पू० मे० 56 जब तुम हिम से ढकी हुई उसकी चोटी पर बैठकर थकावट मियओगे तब तुम ऐसे दिखोगे। शृङ्गोच्छ्रायैः कुमुदविशदैर्यो वितत्य स्थितः। पू० मे० 62 जिसकी कुमुद जैसी उजली चोटियाँ आकाश में इस प्रकार फैली हुई हैं।
श्याम
1. कृष्ण - [कृष् + नक्] काला, श्याम, गहरा नीला।
शुद्धस्त्वमपि भविता वर्णमात्रेण कृष्णः। पू० मे० 53
बाहर से काले होने पर भी तुम्हारा मन उजला हो जाएगा। 2. मलिन - [मल + इनन्] मैला, गंदा, काला, अंधकारमय।
उत्सङ्गे वा मलिनवसने सौम्य निक्षिप्य वीणां। उ० मे० 26
हे मित्र! वह मैले कपड़े पहने हुए, गोद में वीणा लिए मिलेगी। 3. श्याम - [श्यै + मक्] काला, गहरा नीला, काले रंग का।
श्यामं वपुरतितरां कान्तिमापत्स्यते। पू० मे० 15 इसकी चमक से तुम्हारा साँवला शरीर ऐसा सुन्दर लगने लगा है। मध्ये श्यामः स्तन इव भुवः शेषविस्तारपाण्डुः। पू० मे० 18 मानो वह पृथ्वी का उठा हुआ ऐसा स्तन हो, जिसके बीच में काला हो और चारों ओर पीला हो। त्वय्यासन्ने परिणतफलश्याम जम्बू वनान्ताः । पू० मे० 25 तुम्हें वहाँ के जंगल, पकी हुई काली जामुनों से लदे मिलेंगे।
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