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मेघदूतम्
__737 वह प्रेमी (यक्ष) अपनी पत्नी से बिछुड़कर उस पहाड़ी पर जैसे-तैसे। काम क्रीडा विरहित विप्रयुक्त विनोदः। उ० मे० 63 वियोग के समय उन लोगों का भी मन बहलावेगी जिन्हें विलास मिला ही नहीं। विप्रयोग - [ वि + प्र + युज् + घञ्] वियोग, अलगाव। सद्यः पाति प्रणयि हृदयं विप्रयोगे रुणद्धि। पू० मे०१ स्त्रियों के जो हृदय अपने प्रेमियों से बिछुड़ने पर एक क्षण टिके नहीं रह सकते। नाप्यन्यस्मात्प्रणय कलहाद्विप्रयोगोपपत्तिः। उ० मे० 4 प्रेम में रूठने को छोड़कर और कभी किसी का किसी से बिछोह नहीं होता। मा भूदेवं क्षणमपि च ते विद्युता विप्रयोगः। उ० मे० 58 प्यारी बिजली से एक क्षण के लिए भी तुम्हारा वैसा वियोग न हो, जैसा मैं
भोग रहा हूँ। 4. वियुक्त - [ वि + युज + क्त] जुदा किया हुआ, अलग किया हुआ।
अव्यापन्नः कुशलमबले पृच्छति त्वां वियुक्तः। उ० मे० 43
हे अबला! तुम्हारा बिछुड़ा हुआ साथी तुम्हारी कुशल जानना चाहता है। 5. वियोग - [ वि + युज् + घञ्] जुदाई, विच्छेद, विरह।
सव्यापारामहनि न तथा पीडयेन्मद्वियोगः। उ० मे० 28 काम में लगे रहने के कारण दिन में तो उसे मेरा बिछोह कुछ नहीं सताता होगा
पर।
गाढोष्माभिः कृतमशरणंत्वद्वियोग व्यथाभिः। उ० मे० 51 इस तिल-तिल जलाने वाली बिछोह की जलन से तो जी बैठ जा रहा है। विरह - [वि + रह् + अच्] बिछोह, वियोग। कश्चित्कान्ता विरह गुरुणा स्वाधिकारात्प्रमत्तः। पू० मे० 1 उसका ध्यान दिन-रात उससे दूर स्त्री में ही लगा रहता था। इसी बेसुधी में उसने अपने काम में कुछ ऐसी भूल कर दी। सौभाग्यं ते सुभग विरहावस्थया व्यञ्जयन्तीकायें। पू० मे0 31
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