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मेघदूतम्
733
वन
3.
1. कानन - [ कन् + णिच् + ल्युट्] जंगल, बाग।
छन्नोपान्तः परिणतफलद्योतिभिः काननानैः । पू० मे० 18 पके हुए फलों से लदे आम के वृक्षों (जंगलों से) घिरा होने के कारण पीला सा हो गया होगा। शीतोवायुः परिणमयिता काननोदुम्बराणाम्। पू० मे० 46
शीतल वायु के चलने से वन के गूलर पकने लग गए होंगे। 2. कुञ्ज - [ कु + जन् + ड, पृषो० साधुः] लतामंडप, वन, जंगल।
जम्बूकुञ्ज प्रतिहतरयं तोयमादाय गच्छेः । पू० मे0 21 जामुन की कुंजों में बहता हुआ जल पीकर आगे बढ़ना। स्थित्वा तस्मिन्वनचरवधू भुक्त कुळे मुहूर्त। पू० मे0 20 जिन कुंजों में जंगली स्त्रियाँ घूमा करती हैं, वहाँ थोड़ी ही देर ठहरना। वन - [ वन् + अच्] अरण्य, जंगल। त्वामासार प्रशमित वनोपप्लवं साधु मू । पू० मे0 17 जब तुम जंगलों की आग बुझाओगे तो वह तुम्हारा उपकार मानकर तुम्हें अपनी चोटी पर ठहरावेगा। स्थित्वा तस्मिन्वनचरवधू भुक्त कुञ्जे मूहूर्तं । पू० मे० 20 जिन कुंजों में जंगली स्त्रियाँ घूमा करती हैं, वहाँ थोड़ी ही देर ठहरना। तस्यास्तिक्तैर्वनगजमदैर्वासितं। पू० मे० 21 जंगली हाथियों के सुगंधित मद में बसा हुआ। त्वय्यासन्ने परिणतफलश्याम जम्बूवनान्ताः। पू० मे० 25 वहाँ के जंगल पकी हुई काली जामुनों से लदे मिलेंगे। विश्रान्तः सन्व्रज वननदीतीरजातानि। पू० मे० 28 वहाँ थकावट मियकर, तुम जंगली नदियों के तीरों पर। हैमं तालदुमवनमभूदत्र तस्यैव राज्ञः। पू० मे० 35 उन्हीं राजा का बनाया हुआ ताड़ के पेड़ों का सुनहरा (उपवन) जंगल था।
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