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मेघदूतम्
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आँखों को सुहाने वाला रूप देखकर बगुलियाँ भी समझ लेंगी कि हमारे गर्भधारण करने का समय आ गया है और वे पाँत बाँध-बाँध कर अपने पंखों से तुम्हें पंखा झलने के लिये अवश्य ही आकाश में उड़कर आती होंगी। खं दिङ्नागानां पथि परिहरन्स्थूलहस्तावलेपान्। पू० मे० 14 आकाश में ठाठ से उड़ते हुए तुम दिग्गजों की मोटी सैंडों की फटकारों को ढकेलते हुए उत्तर की ओर घूम जाना। शृङ्गोच्छ्रायैः कुमुदविशदैर्यो वितत्य स्थितः खं राशीभूतः प्रतिदिनमिव त्र्यम्बकस्याट्टहासः। पू० मे० 62 जिसकी कुमुद जैसी उजली चोटियाँ आकाश में इस प्रकार फैली हुई हैं, मानो
वह दिन-प्रतिदिन इकट्ठा किया हुआ शिवजी का अट्यहास हो। 3. गगन-[गच्छन्त्यस्मिन्-गम्+ल्युट्, ग आदेशः] आकाश, अंतरिक्ष, स्वर्ग।
प्रेक्षिष्यन्ते गगनगतयो नूनमावर्त्यदृष्टीरेकं मुक्ता गुणमिव भुवः स्थूलमध्येन्द्रनीलम्। पू० मे० 50 आकाश में विचरण करने वाले सिद्ध, गंधर्व आदि को तुम ऐसे दिखाई दोगे मानो पृथ्वी के गले में पड़े हुए एक लड़े हार के बीच में एक बड़ी मोटी-सी
इन्द्रनील मणि पोह दी गई हो। 4. नभ - [नभ् + अच्] आकाश, अंतरिक्ष।
संपत्स्यन्ते नभसि भवतो राजहंसा: सहायाः। पू० मे० 10
राजहंस तुम्हारे साथ-साथ आकाश में उड़ते हुए जाएंगे। 5. व्योम - [व्ये + मनिन्, पृषो०] आकाश, अंतरिक्ष।
तस्याः पातुं सुरगज इव व्योम्नि पश्चार्द्धलम्बी। पू० मे० 55 तुम दिग्गजों के समान आकाश में अपना पिछला भाग ऊपर उठाकर और आगे का भाग झुकाकर।
गज 1. करिण - [ कर + इनि] हाथी।
शैलोदग्रास्त्वमिव करिणो वृष्टिमन्तः प्रभेदात्। उ० मे० 13
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