________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
722
कालिदास पर्याय कोश 4. सुरपति - [सुष्ठुराति ददात्यभीष्टम् - सु + रा + क + पतिः] इंद्र का
विशेषण। दूराल्लक्ष्यं सुरपतिधनुश्चारुणा तोरणेन। उ० मे0 15 इन्द्रधनुष के समान सुन्दर गोल फाटक वाला हमारा घर दूर से ही दिखाई देगा।
मधु
1. मदिरा - [मदिर + यप्] खींची हुई शराब।
काङ्क्षत्यन्यो वदनमदिरां दोहदच्छद्मनास्याः। उ० मे० 18
उसके मुंह से निकले हुए मदिरा के छींटे पाना चाहता होगा। 2. मधु - [ मन्यत इति मधु, मन + उ नस्य घः] मधुर, शहद, मीठ मादक पेय,
शराब। आसेवन्ते मधु रतिफलं कल्पवृक्ष प्रसूत। उ० मे० 5 कामदेव को उभारने वाला वह मधु पी रहे होंगे, जो कल्पवृक्ष से निकलता है। वासश्चित्रं मधु नयनविभ्रमादेशदक्षं। उ० मे० 12 रंग-बिरंगे वस्त्र, नेत्रों में बाँकपन बढ़ाने वाली मदिरा। प्रत्यादेशादपि च मधुनो विस्मृतभूविलासम्। उ० मे० 37 बहुत दिनों से मदिरा न पीने के कारण भौंहे चलाना भूल गई होगी।
मधुकर 1. भ्रमर - [ भ्रम + करन्] भौंरा।
यत्रोन्मत्त भ्रमरमुखराः पादपा नित्यपुष्पा। उ० मे० 3
सदा फूलने वाले बहुत से वृक्ष मिलेंगे जिन पर मतवाले भौरे गुनगुनाते होंगे। 2. मधुकर - [ मधु + करः] भौरा, भ्रमर।
त्वयि मधुकरश्रेणि दीर्घान्कटाक्षान्। पू० मे0 39 वे भौंरो की पाँतों के समान बड़ी-बड़ी चितवन तुम पर डालेंगी। कुन्दक्षेपानुगमधुकरश्रीमुषामात्मबिम्बं । पू० मे० 51 मानों उन्होंने कुन्द के फूलों पर मंडराने वाली भाँरों की चमक चुरा ली हो।
For Private And Personal Use Only