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4.
वात
त्वामारुढ़ं पवनपदवीमुद्गृहीतालकान्ताः । पू० मे० 8
जब तुम वायु पर पैर रखकर ऊपर चढ़ोगे, तब अपने बाल ऊपर उठाकर ।
मन्दं मन्दं नुदति पवनश्चानुकूलो । पू० मे० 10
तुम्हारा साथी वायु धीरे-धीरे तुम्हें आगे बढ़ा रहा है। 1 पू० मे० 14
अद्रेः शृङ्गं हरति पवनः किं ।
कहीं पहाड़ की चोटी को पवन तो नहीं उड़ाए लिए चला जा रहा। [ मृ + उत्] वायु, हवा ।
3. मरुत
धूमज्योतिः सलिलमरुतां संनिपातः क्व मेघः । पू० मे0 5 कहाँ धुएँ, अग्नि, जल और वायु के मेल से बना हुआ बादल । तोयक्रीडा निरत युवतिस्नानतिक्तैर्मरुद्धिः । पू० मे० 37 जल विहार करने वाली युवतियों के स्नान करने से महकता हुआ पवन । मन्दाकिन्याः सलिलशिशिरैः सेव्यमाना मरुद्भिः । 30 मे० 6 मंदाकिनी के जल की फुहार से ठंडाए हुए पवन में।
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[ वा + क्त] हवा, वायु ।
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कालिदास पर्याय कोश
धुन्वनकल्पदुमकिसलयान्यंशुकानीव वातैर्नाचेष्टैर्जलद । पू० मे० 66
मेघ ! कल्पद्रुम के कोमल पत्तों को पवन की सहायता से महीन कपड़े की भाँति हिला देना ।
आलिङ्गयन्ते गुणवति मया ते तुषाराद्रिवाताः । उ० मे0 50
हिमालय के जो पवन दक्षिण की ओर चले आ रहे हैं, उन्हें मैं यही समझकर हृदय से लगा रहा हूँ।
5. वायु - [ वा उण् यक् च] हवा, पवन ।
नीचैर्वास्यत्युपजिगमिषोर्देव पूर्वं गिरिं ते शीतो वायुः । पू० मे० 46
वहाँ से चलकर जब तुम देवगिरी पहाड़ की ओर जाओगे, तब वहाँ वह शीतल पवन तुम्हारी सेवा करेगा।
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तं चेद्वायौ सरति सरलस्कन्ध संघट्ट जन्मा । पू० मे० 57
अंधड़ चलने पर वृक्षों के आपस में रगड़ने से जब जंगल में आग लग जाए।