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कालिदास पर्याय कोश
अप्यन्यस्मिञ्जलधर महाकालमासाद्य काले स्थातव्यं ते नयनविषयं यादवदयेति भानुः। पू० मे० 38 हे मेघ! यदि तुम महाकाल के मंदिर में सांझ होने से पहले पहुँच जाओ, तो वहाँ तब तक ठहरना जब तक प्रकाश आँखों से ओझल न हो जाए। शान्तोद्वेगस्तिमितनयनं दृष्टभक्तिर्भवान्या। पू० मे० 40 पार्वती जी एकटक आँखों से शिवजी में तुम्हारी भक्ति देखती रह जाएंगी। तस्मिन्काले नयनसलिलं योषितां खण्डितानां शान्तिं। पू० मे0 43 उस समय बहुत से प्रेमी लोग अपनी उन प्यारियों के आँसू पोंछ रहे होंगे, जिन्हें रात को अकेली छोड़कर वे कहीं दूसरे और में रहे होंगे। शोभामद्रेः स्तिमित नयन प्रेक्षणीयां भवित्रीम्। पू० मे० 63 कैलास के ऊपर ऐसे मनोहर लगोगे कि आँखें एकटक तुम्हें ही देखती रह जाएँ। वासश्चित्रं मधु नयनयोर्विभ्रमादेश दक्षं। उ० मे० 12 वहाँ रंग-बिरंगे वस्त्र, नेत्रों में बाँकपन बढ़ाने वाली मदिरा। सभ्रूभंगप्रतिहतनयनैः कामिलक्ष्येष्व मोघैः। उ मे० 14 वहाँ की चतुर स्त्रियाँ, जो अपने प्रेमियों की ओर बाँकी चितवन चलाती हैं, उसी से धनुष का काम निकाल लेता है। त्वय्यासन्ने नयनमुपरिस्पन्दि शङ्के मृगाक्ष्या। उ० मे0 37 जब तुम उसके पास पहुँचोगे, तब उस मृगनयनी की वह बाई आँख फड़क उठेगी। इत्थं चेतश्चटुलनयने दुर्लभप्रार्थनं मे। उ० मे० 51 हे चंचल नैनों वाली, मेरी दुर्लभ प्रार्थना बेकार हो जाती है। मा कौलीनाच्चकितनयने मय्यविश्वासिनी भूः। उ० मे० 55 हे काली आँखों वाली! लोगों के कहने से तुम मेरे प्रेम में संदेह न कर बैठना,
तुम समझ लेना कि मैं कुशल से हूँ। 3. नेत्र - [नयति नीयते वा अनेन - नी + ष्ट्रन्] आँख।
पात्री कुर्वन्दशपुरवधूनेत्रकौतूहलानाम्। पू० मे० 51
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