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2. नीप [ नी + प बा० गुणा भावः] कदंब वृक्ष ।
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कालिदास पर्याय कोश
नीपं दृष्ट्वा हरित कपिशं केसरैरर्धरूढैराविः । पू० मे० 22
उस समय अधपके हरे-पीले कदंब के फूलों पर मँडराते हुए ।
सीमन्ते च त्वदुपगमजं यत्र नीपं वधूनाम् । उ० मे० 2
वहाँ की वधुएँ वर्षा में फूल उठने वाले कदंब के फूलों से अपनी माँग सँवारा करती हैं ।
पंक्ति
1. पंक्ति [ पंच् + क्तिन्] कतार, श्रेणी ।
जह्नोः कन्यां सगरतनयस्वर्ग सोपान पङ्कितम् । पू० मे० 54
वे गंगाजी मिलेंगी, जिन्होंने सीढ़ियों की पंक्ति बनकर सगर के पुत्रों को स्वर्ग पहुँचा दिया |
2. श्रेणी
[श्रि + णि, वा ङीप् ] रेखा, श्रृंखला, पंक्ति ।
हंस श्रेणीरचितरसना नित्य पद्मा नलिन्यः । उ० मे० 3
वहाँ बारहमासीं कमल और कमलिनियों को हंसों की पाँतें घेरे रहती हैं।
पथ
1. पथ [पथ + क (धञार्थे)] रास्ता, मार्ग, प्रसार ।
कैलासद्विस किसलयच्छेदपाथेयवन्तः
संपत्स्यन्ते नभसि भवतो राजहंसाः सहायाः । पू० मे० 11
राजहंस अपनी चोंचों में कमल की अगली डंठल लिए हुए कैलास पर्वत तक मार्ग में तुम्हारे साथ -साथ आकाश में उड़ते हुए जाएँगे ।
2. पंथ - मार्ग, रास्ता, पथ ।
वक्रः पन्था यदपि भवतः प्रस्थितस्योत्तराशां । पू० मे० 29 उत्तर की ओर जाने में यद्यपि मार्ग कुछ टेढ़ा पड़ेगा ।
3. मार्ग [ मार्ग + घञ्] रास्ता, राह, प्रसार ।
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मार्गं तावच्छृणु कथयतस्त्वत्प्रयाणानुरूपं । पू० मे० 13