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कालिदास पर्याय कोश जह्नोः कन्यां सगरतनयस्वर्गसोपान पङ्कितम्। पू० मे० 54 वे गंगाजी मिलेंगी, जिन्होंने सीढ़ी बनकर सगर के पुत्रों को स्वर्ग पहुँचा दिया। यस्योपान्ते कृतकतनयः कान्तयावर्धितो मे। पू० मे0 15
उसी के पास कल्पवृक्ष है, जिसे मेरी स्त्री ने पुत्र के समान पाल रखा है। 2. पुत्र - [पुत् + त्रै + क] बेटा, वत्स।
भवानी पुत्र प्रेम्णा कुवलयदलप्रापि कर्णे करोति। पू० मे० 48 पार्वतीजी पुत्र पर प्रेम दिखलाने के लिए अपने उन कानों में सजा लेती हैं, जिन पर वे कमल की पंखड़ी सजाया करती थीं।
प्रणयिनी 1. कलत्र - [गड् + अत्रन्, गकारस्य ककारः, डलयोरभेदः] पत्नी।
रात्रिं चिरबिलसनात्खिन्नविद्युत्कलनः। पू० मे0 42
बहुत देर तक चमकते-चमकते थकी हुई अपनी प्यारी बिजली को लेकर। 2. कल्याणी - [कल्याण + ङीष्] पत्नी।
तत्कल्याणि त्वमपि नितरां मा गमः कातरत्वम्। उ० मे0 52
पर हे कल्याणी! इसलिए, तुम भी बहुत दुखी मत होना। 3. कान्ता - [कम् + क्त् + यप्] गृहस्वामिनी, पत्नी।
यस्योपान्ते कृतकतनयः कान्तया वर्धितो मे। उ० मे0 15 उसी के पास एक वृक्ष है, जिसे मेरी स्त्री ने पुत्र के समान पाल रखा है। जाया - [जन् + यक् + टप्, आत्व] पत्नी। तां चावश्यं दिवसगणनातत्परामेकपत्नीम् अव्यापन्नाम विहतगतिम्रक्ष्यसि भ्रातृजायाम्। पू० मे० १ इसलिए तुम अपनी उस पतिव्रता भाई की पत्नी (भाभी) को अवश्य ही पहचान जाओगे, जो बैठी मेरे लौटने के दिन गिन रही होगी। कः संनद्धे विरहविधुरां त्वय्युपेक्षेत् जायां। पू० मे० 8 ऐसा कौन जो तुम्हें उमड़ा हुआ देखकर भी बिछोह में तड़पने वाली अपनी पत्नी से मिलने को उतावला न हो उठे।
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