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मेघदूतम्
709 दशपुर की उन रमणियों की आँखों को रिझाना, जिनकी कटीली काली-काली भौहें ऐसी जान पड़ेंगी, मानो.............। नूनं तस्याः प्रबलरुदितोच्छूननेत्रं प्रियाया। उ० मे० 24
मेरे बिछोह में रोते-रोते मेरी प्यारी की आँखें सूज गई होंगी। 4. प्रेक्षण - [प्र + ईक्ष् + ल्युट्] आँख।
मध्ये क्षामा चकित हरिणीप्रेक्षणा निम्ननाभिः। उ० मे० 22 पतली कमर वाली, डरी हुई हरिणी के समान आँखों वाली, गहरी नाभि वाली। श्यामा स्वङ्गं चकित हरिणी प्रेक्षणे प्रेक्षणे दृष्टिपातं। उ० मे० 46 प्रियंगु की लता में तुम्हारा शरीर, डरी हुई हरिणी की आँखों में तुम्हारी चितवन
देखा करता हूँ। 5. लोचन - [लोच् + ल्युट्] आँख।
प्रीतिस्निग्धर्जनपदवधूलोचनैः पीयमानः। पू० मे० 16 वे भोली-भाली स्त्रियाँ भी तुम्हें बड़े प्रेम और आदर से अपनी आँखों से देखेंगी। लोलापाङ्गैर्यदि न रमसे लोचनैर्वञ्चितोऽसि। पू० मे० 29 वहाँ की स्त्रियाँ जो चंचल चितवन चलावेंगी, उनपर यदि तुम न रीझे। सोऽतिक्रांतः श्रवणविषयं लोचनाभ्यामदृष्टः। उ० मे० 45 तुम अपने उस प्यारे की न बातचीत ही सुन सकती हो और न उसे आँख भर देख सकती हो।
नरपति 1. नरपति - [नृ + अच् + पतिः] राजा।
गच्छन्तीनां रमणवसतिं योषितां तत्र नक्तं रुद्धालोकेनरपतिपथे सूचिभैद्यैस्तमोभिः । पू० मे0 41 वहाँ पर जो स्त्रियाँ अपने प्यारे राजाओं से मिलने के लिए ऐसी घनी अँधेरी रात में निकली होंगी, उन्हें जब सड़कों पर अँधेरे के मारे कुछ भी न सूझता होगा।
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