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कालिदास पर्याय कोश यक्षश्चक्रे जनकतनयास्नानपुण्योदकेषु स्निग्धच्छायातरुषु वसतिं रामगिर्याश्रमेषु। पू० मे० 1 यक्ष ने रामगिरि के उन आश्रमों में जाकर डेरा डाला जहाँ के कुंडों, तालाबों और बावड़ियों का जल श्री जानकी जी के स्नान से पवित्र हो गया था और जहाँ
घनी छाया वाले बहुत से वृक्ष लहलहा रहे थे। 2. मैथिली - सीता का नाम, सीता।
इत्याख्याते पवनतनयं मैथिलीवोन्मुखी सा। उ० मे० 42 तुम्हारा सब संदेश उसी प्रकार सुनेंगी जैसे सीताजी ने हनुमान जी की बातें सुनी थीं।
जहकन्या 1. गंगा - [गम् + गन् + याप्] गंगा नदी, गंगा।
तस्योत्सङ्गे प्रणयिन इव त्रस्तगंगा दुकूला। पू० मे0 67 जैसे अपने प्यारे की गोद में कोई कामिनी बैठी हो और गंगाजी की धारा ऐसी
लगती है, मानो उस कामिनी के शरीर पर से सरकी हुई साड़ी हो। 2. जहुकन्या - [जहु + कन्या] गंगा।
तस्माद्गच्छेरनु कनखलं शैलराजावतीर्णा जह्रो:कन्यां सगरतनयस्वर्ग सोपान पङ्क्तिम्। पू० मे० 54 तुम कनखल पहुँच जाना, वहाँ तुम्हें हिमालय की घाटियों से उतरी हुई वे गंगाजी मिलेंगी, जिन्होंने सीढ़ी बनकर सगर के पुत्रों को स्वर्ग पहुंचा दिया था।
जाल
1. गवाक्ष - रोशनदान, झरोखा, खिड़की।
विद्युद्गर्भः स्तिमित नयनां त्वत्सनाथे गवाक्षे। उ० मे० 40 जब वह झरोखे से तुम्हारी ओर एकटक देखे, तो तुम अपनी बिजली को छिपा
लेना। 2. जाल - [जल् + ण] गवाक्ष, खिड़की।
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